छत्तीसगढ़ के भीम चिंताराम” ने रचा इतिहास एक महीने में 3 लाख से अधिक दर्शकों ने देखा

मार्च 14, 2025 - 17:03
मार्च 15, 2025 - 13:42
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छत्तीसगढ़ के भीम चिंताराम” ने रचा इतिहास एक महीने में 3 लाख से अधिक दर्शकों ने देखा

छत्तीसगढ़ के प्रख्यात समाजसेवी और अद्वितीय शारीरिक क्षमता के धनी छत्तीसगढ़ के भीम कहे जाने वाले चिंताराम टिकरिहा की जीवनगाथा पर बनी डॉक्यूमेंट्री को यूट्यूब पर काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला है, और इसे 3 लाख से अधिक लोग देख चुके हैं। यूट्यूब चैनल वैदिक राज(Vaidic Raj) पर इस फिल्म को शुरुआती दिनों में ही 3 लाख से अधिक दर्शकों ने देखा, वहीं दुबई, अमेरिका, रूस, ऑस्ट्रेलिया और चीन सहित 20 से अधिक देशों में भी इसे सराहा गया।

फिल्म के निर्देशक एस अंशु धुरंधर ने नौ वर्षों की गहन रिसर्च के बाद यह डॉक्यूमेंट्री तैयार की, जिसके लिए उन्होंने 12,000 किमी से अधिक की यात्रा की और 80 से अधिक स्थानों पर शूटिंग की। वे बताते हैं कि 2013 में जब उन्होंने पहली बार चिंताराम टिकरिहा के बारे में सुना, तो यह जानकर हैरान रह गए कि इतने महान व्यक्तित्व की प्रेरणादायक गाथा अब तक व्यापक रूप से सामने नहीं आई थी। यही विचार उन्हें उनके जीवन पर शोध करने और इसे प्रमाणित रूप से जन-जन तक पहुँचाने के लिए प्रेरित कर गया। शुरुआत में धुरंधर ने 20 मिनट की लघु-चलचित्र बनाने की योजना बनाई पर विषय की विशालता व गंभीरता को देखते हुए उन्होंने इसे वृत्तचित्र(डाक्यूमेंट्री फिल्म) बनाने का निर्णय लिया। 2021 में फिल्म की औपचारिक घोषणा के साथ साक्षात्कार लेने का सिलसिला शुरू हुआ जो मध्य 2024 तक चला। इस फिल्म में अनेकों उम्रदराज-प्रत्यक्षदर्शी व्यक्तियों के साक्षात्कार लिए गये, जिनमे 102 वर्ष की वयोवृद्ध महिला तीरथी बाई वर्मा भी शामिल है; इसके अतिरिक्त धुरंधर ने चिंताराम को प्रत्यक्ष देखने एवं आज से 50-60 वर्ष पूर्व उनके यहाँ काम करने वाले लोगों को खोजकर उनका इंटरव्यू लिया। फिल्म की एडिटिंग 2024 के अंत तक समाप्त हुई। फिल्म में कई ऐसे व्यक्तियों के साक्षात्कार भी शामिल हैं, जो फिल्म पूरी होने के पूर्व ही दुनिया छोड़ गए अतः इस डाक्यूमेंट्री को पुनः बना पाना असंभव है। यह छत्तीसगढ़ की पहली ऐसी डॉक्यूमेंट्री फिल्म है, जिसमें 250 से अधिक व्यक्तियों के साक्षात्कार शामिल हैं। फिल्म में जनसाधारण से लेकर छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं न्यूजीलैंड व अमेरिका के प्रतिष्ठित व्यक्ति भी शामिल हैं। फिल्म निर्माण में 300 घंटे की रॉ-फुटेज रिकॉर्ड की गई और 2,000 घंटे का पोस्ट-प्रोडक्शन कार्य हुआ। डॉक्यूमेंट्री में उच्च स्तरीय विजुअल्स और ऐतिहासिक साक्ष्यों के माध्यम से चिंताराम टिकरिहा के जीवन को प्रस्तुत किया गया है। फिल्म की प्रोडक्शन टीम ने सैन फ्रांसिस्को, अमेरिका की कंपनी मिडजर्नी के साथ मिलकर डाक्यूमेंट्री के लिए आर्टिफीसियल इंटेलीजेंट का भी प्रयोग किया गया; साथ ही हॉलीवुड फिल्म अवतार के विसुअल इफेक्ट्स सुपरवाइजर डेविड मोरैटन ने अपनी निजी टिप्पणियाँ दी। फिल्म निर्माण के साथ-साथ जनसामान्य भी इसमें बड़ी संख्या में जुड़कर विभिन्न प्रकार से स्वेच्छापूर्वक सहयोग किया। चिंताराम टिकरिहा के जीवन पर आधारित डॉक्यूमेंट्री फिल्म ने उनकी विरासत को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है, जिससे उनकी प्रेरक कहानी नई पीढ़ी तक पहुँच रही है। इस फिल्म को मध्य भारत के प्रतिष्ठित ‘रायपुर आर्ट, फिल्म एंड लिटरेचर फेस्टिवल’ में विशेष सम्मान से नवाजा गया, इसके साथ ही कुर्मी समाज पलारी राज के वार्षिक अधिवेशन व बलौदाबाजार में जिला स्तरीय युवा महोत्सव में भी फिल्म को सम्मानित किया गया। 

निर्देशक धुरंधर ने कहा- ‘मेरा उद्देश्य था कि यह फिल्म सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए प्रेरणादायक बने, इस कारण मुझ पर एक नैतिक जिम्मेदारी भी थी कि यह डाक्यूमेंट्री सत्यता के हर पैमाने पर खरी उतरे, यही कारण था कि इस पर इतने वर्षों की रिसर्च, शूटिंग और एडिटिंग का समय लगा।’

चिंताराम ने ही कराया था तुरतुरिया मंदिर का जीर्णोद्धार
छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक तुरतुरिया मंदिर का जीर्णोद्धार दाऊ चिंताराम टिकरिहा ने ही कराया था। उन्होंने सन 1960-70 के दशक में इस मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए अपनी संपत्ति, संसाधन और श्रमदान किया, जिससे यह क्षेत्रीय आस्था का एक प्रमुख केंद्र बना, और इसके पुनर्निर्माण में चिंताराम की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही। उन्होंने मंदिर की संरचना को सुदृढ़ करने, इसके सौंदर्यीकरण और भक्तों की सुविधाओं में सुधार के लिए व्यक्तिगत रूप से योगदान दिया। उनके प्रयासों के कारण तुरतुरिया मंदिर एक प्रमुख तीर्थस्थल के रूप में स्थापित हुआ। छत्तीसगढ़ राज्य में यह मंदिर धार्मिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक रूप से विशेष महत्व रखता है। स्थानीय इतिहासकारों के अनुसार, चिंताराम टिकरिहा की जीवनगाथा छत्तीसगढ़ के सामाजिक और धार्मिक इतिहास का महत्वपूर्ण अध्याय है।
 
फिल्म प्रस्तुति और पुस्तक प्रकाशन समारोह
चिंताराम टिकरिहा की जीवनगाथा पर आधारित डॉक्यूमेंट्री फिल्म का अनावरण और पुस्तक विमोचन 6 जनवरी 2025 को उनके कर्मस्थली बुड़गहन में एक भव्य समारोह में किया गया। इस कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री टंकराम वर्मा, सांसद विजय बघेल, विधायक मोतीलाल साहू, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल, छग मनवा कुर्मी क्षत्रिय समाज के केंद्रीय अध्यक्ष खोड़स राम कश्यप, पूर्व विधायक शिवरतन शर्मा सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के रसखान के नाम से प्रसिद्ध कवि मीर अली मीर ने अपनी कविताओं का जादू बिखेरते हुए दर्शकों का दिल जीत लिया, वहीं चोवाराम वर्मा "बादल" ने छत्तीसगढ़ी संस्कृति के सन्दर्भ में अपनी रचना सुनाते हुए श्रोताओं को भावविभोर कर दिया; इस्कॉन संस्था के माध्यम से ललित माधव दास व तरुण सिंदे द्वारा आध्यात्मिक भक्तिमय संगीत की प्रस्तुति दी गयी। कार्यक्रम में चिंताराम के कारनामों को भी प्रदर्शित किया गया। इस दौरान फिल्म की भव्य स्क्रीनिंग हुई और इसके पश्चात उपस्थित अतिथियों ने चिंताराम की जीवनी पर आधारित पुस्तक का विमोचन किया।

चिंताराम की अद्वितीय शारीरिक क्षमताओं पर शोध करते हुए निर्देशक एस अंशु धुरंधर ने "प्रूविंग चिंताराम" नाम से 10-एपिसोड की लघु-चलचित्र श्रृंखला भी बनाई है, जो वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चिंताराम की शक्ति को प्रमाणित करती है। इस सीरीज में 97 किग्रा पत्थर उठाना, 3 किग्रा से अधिक भोजन करना, 100 गोलगप्पे खाना, हाथो से नारियल फोड़ना व 500 से अधिक बार मुद्गर घुमाना व अन्य कारनामे शामिल हैं। धुरंधर ने कहा- ‘इन कारनामों से वर्तमान समय में श्री चिंताराम की अद्भुत शक्तियों की वैज्ञानिक एवं प्रत्यक्ष सिद्धि होगी, जिससे विशेषकर नवयुवकों के मन में चिंताराम जी की असाधारण शक्तियों पर विश्वास करना असंभव प्रतीत नही होगा।’

कैबिनेट मंत्री टंकराम वर्मा ने डॉक्यूमेंट्री की सराहना करते हुए कहा- ‘इतने महान शुद्ध-सात्विक-शाकाहारी बलवान व्यक्तित्व का संबंध बलौदाबाजार जिले से होना पूरे क्षेत्र के लिए गौरव की बात है।’ मंत्री टंकराम ने स्वयं मुद्गर उठाकर युवाओं को चिंताराम के पदचिन्हों पर चलने एवं योग व व्यायाम की राह अपनाने को प्रेरित किया। सांसद विजय बघेल ने सुझाव दिया- ‘चिंताराम पर फीचर फिल्म भी बननी चाहिए ताकि उनकी गाथा और प्रेरणादायक जीवन पूरे देश तक पहुंच सके।’ गौरीशंकर अग्रवाल ने कहा- ‘इस फिल्म से हर उम्र के लोगों को प्रेरणा मिलेगी, खासकर युवाओं को।’ छग मनवा कुर्मी क्षत्रिय समाज के केन्द्रीय अध्यक्ष खोड़स राम कश्यप ने कहा- ‘चिंताराम की महान और प्रेरणादायक जीवनी को छत्तीसगढ़ के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियाँ इससे दृढ़ इच्छाशक्ति, संकल्प, अनुशासन व उद्यमशीलता जैसे उच्च गुणों को स्वयं के जीवन में समाहित कर सकें।’ छत्तीसगढ़ के स्कूली पाठ्यक्रम में चिंताराम की प्रेरक गाथा को शामिल करने हेतु हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत हो चुकी है। कार्यक्रम के संयोजक धनेश टिकरिहा ने कहा- ‘युवाओं को दिशा की आवश्यकता है और बाबू जी के जीवन पर बनी यह फिल्म नवयुवकों की सुषुप्त-शक्ति को जागृत करने का कार्य करेगी, लोग इससे प्रेरणा लेकर नशा, मांस-मदिरा व जुवा आदि दुर्व्यसनों को छोड़कर सुमार्ग पर बढ़ने को प्रेरित होंगे, यही मेरी मंगलकामना है।’

विशेष प्रतिभाओं का हुआ सम्मान
पर्यावरण के क्षेत्र में इंद्र कुमार वर्मा(पेड़ नही प्राण लगाबो), साहित्य के क्षेत्र में इंदु वर्मा(युवा प्रधानमंत्री योजना में चयनित), तुरतुरिया मंदिर के पुजारी राम बालक दास को उत्कृष्ट सेवाभाव के लिए एवं समाजसेवा के क्षेत्र में अनिल वर्मा(रक्तदान संस्था संचालन) को “चिंताराम सम्मान 2025” से सम्मानित किया गया।

समारोह में उमड़ा विशाल जनसैलाब
कार्यक्रम में इस आयोजन में आसपास के गांवों से हजारों से अधिक संख्या में लोग उपस्थित हुए, जिनमें कई बुजुर्गों ने आकर चिंताराम को श्रद्धांजलि दी व उनके उपकारों को याद किया। शिक्षक गोपाल वर्मा एवं रघुनंदन बघमार(युवाध्यक्ष, छग. मनवा कुर्मी क्षत्रिय समाज, बलौदाबाजार राज) ने मंच का संचालन किया। सनम जांगड़े(पूर्व विधायक), शैलेश नितिन त्रिवेदी(पूर्व अध्यक्ष, छग पाठ्य पुस्तक निगम); कुर्मी समाज से विपिन बिहारी वर्मा(पूर्व केन्द्रीय अध्यक्ष), मोतीराम वर्मा(केन्द्रीय संरक्षक), कपिल कश्यप (केन्द्रीय युवा संरक्षक), रामखिलावन वर्मा(राजप्रधान, पलारी राज), हरिराम वर्मा(राजप्रधान, अर्जुनीराज), सुनीता राजेश वर्मा(राजप्रधान, बलौदाबाजार राज), तेजराम वर्मा(पूर्व राजप्रधान, पलारीराज), सर्व कुर्मी समाज से टेसूलाल धुरंधर; शिक्षा जगत से संदीप पांडे, रमाकांत झा व विनय गुप्ता; महेंद्र वर्मा, अशोक जैन, श्याम सुंदर केशरवानी, विजय केशरवानी, पवन वर्मा, सुरेन्द्र टिकरिहा, बुधराम अग्रवाल एवं संतोष वैष्णव कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।

छत्तीसगढ़ के भीम चिंताराम के पुत्र दाऊ धनेश टिकरिहा, पौत्र डॉ. दीपक टिकरिहा व टिकरिहा परिवार द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में दूर-दराज से आए दर्शकों ने मुक्त कंठ से चिंताराम के कार्यों की प्रशंसा की और उनके जीवन पर बनी इस डॉक्यूमेंट्री को न केवल आज की बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणादायक बताया।