कलाकार और मंच कभी भी छोटा या बड़ा नहीं होता है-चम्पेश्वर गोस्वामी, उनकी रचनाओं में दिखाई देती है भारतीय और छत्तीसगढ़ी संस्कृति और परंपरा की झलक...

सितम्बर 18, 2024 - 14:30
 0  118
कलाकार और मंच कभी भी छोटा या बड़ा नहीं होता है-चम्पेश्वर गोस्वामी, उनकी रचनाओं में दिखाई देती है भारतीय और छत्तीसगढ़ी संस्कृति और परंपरा की झलक...


कलाकार और मंच कभी भी छोटा या बड़ा नहीं होता है, कलाकार और मंच का अपना स्वयं बड़ा स्थान होता है, हमें किसी भी परिस्थिति में हार नहीं माननी है बस सकारात्मक सोच से लगातार समर्पण के साथ काम में लगे रहना ही एक कलाकार का उद्देश्य होना चाहिए...स्वयं पर अटल विश्वास और उस विश्वास की रक्षा के लिए अनवरत अभ्यास काम की परम संतुष्टि के लिए आवश्यक है। यह मानना है चम्पेश्वर गोस्वामी का। चम्पेश्वर गोस्वामी (पं.डॉ.चम्पेश्वर गिरि गोस्वामी) एक प्रसिद्ध कवि, गीतकार,और साहित्यकार हैं। उनका जन्म 10 फरवरी 1981 को रायपुर के बोरियाखुर्द में हुआ। उन्होंने एम. क्लासिक्स संस्कृत व्याकरण, डी. एड.और बी.एड की शिक्षा प्राप्त की है।
चम्पेश्वर गोस्वामी के गीत व अन्य विधाओं में की गई रचनाएं,कविताएं आदि हिंदी और छत्तीसगढ़ी भाषा में होती हैं और उनमें भारतीय और छत्तीसगढ़ी संस्कृति और परंपरा की झलक दिखाई देती है। उनकी रचनाएं जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं, जैसे प्रेम, संघर्ष, सामाजिक मुद्दे और संस्कृति की बातें। चम्पेश्वर गोस्वामी को उनकी कविताओं और गीतों के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं, जिनमें विद्यावाचस्पति और विद्यासागर शामिल हैं। वे देश के व छत्तीसगढ़ प्रांत के साहित्यिक जगत में एक प्रमुख नाम हैं और उनकी कविताएँ और गीत लोगों के दिलों में बसे हुए हैं।

उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं- रचना हिंदी काव्य संग्रह, गोठ के गाड़ी छत्तीसगढ़ी व्यंग्य संग्रह, नदिया छत्तीसगढ़ी गजल संग्रह, गोठ हिरदे के छत्तीसगढ़ी गजल संग्रह, काव्य रथ, हिंदी काव्य संग्रह, गीत के गाड़ी छत्तीसगढ़ी गीत संग्रह, चंदन अस मोर गांव के माटी छत्तीसगढ़ी गीत संग्रह, प्रिय गीत तुम्हें मैं गाऊंगा हिंदी गीत संग्रह, गद्य रथ हिंदी गद्य संग्रह, हम अनुभव अनुमान के राही हिंदी काव्य संग्रह, टेंशन लेके का करबे छत्तीसगढ़ी गजल संग्रह, मेरी तो कथा वही हिंदी काव्य संग्रह।
उन्होंने कई नाटकों का लेखन किया है, जिनमें बंटवारा, जमराज के नियाव, साहर के बेटी गांव के बहू शामिल हैं। उन्होंने बाल काव्य नाटक पीरा (छत्तीसगढ़ी) और एकाग्रचित (हिंदी) जैसे अनेक नाटकों का लेखन किया है।
चम्पेश्वर गोस्वामी की कविताएँ अन्य रचनाएं और गीत आकाशवाणी और दूरदर्शन से प्रसारित हुए हैं, और उनके कार्यक्रम कई टीवी और यूट्यूब चैनल में लगातार प्रसारित हो रहे हैं। वे पत्र, पत्रिकाओं के लेखक व स्तंभकार हैं। वे फिल्म समीक्षक हैं,कथा, पटकथा, संवाद लेखन, रूपांतरण, एलबम में गीत लेखन व प्रमुखता से फिल्म लेखन  में भी सक्रिय हैं द्य उन्होंने अनेक म्यूजिक कंपनी, यूट्यूब चैनल, सांस्कृतिक संस्था, न्याय विभाग दिल्ली के लिए नियाव पण्डवानी का तीन भागों में  गीत विधा में लेखन किया है। चम्पेश्वर गोस्वामी के लिखे गीतों को बॉलीवुड व छालीवुड के प्रसिद्ध सिंगर अपना स्वर दे चुके हैं। लेखन के क्षेत्र में लगातार परिश्रम कर रहे चम्पेश्वर गोस्वामी सदैव गीत कला साहित्य के लिए समर्पित हैं और वे  लगातार अपना काम ईमानदारी के साथ कर रहे हैं।