फटाके से बनाये दूरी , इससे पर्यावरण चक्र रहेगा स्वच्छ व सुंदर - डाँ अश्वनी साहू 

अक्टूबर 19, 2025 - 16:37
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फटाके से बनाये दूरी , इससे पर्यावरण चक्र रहेगा स्वच्छ व सुंदर - डाँ अश्वनी साहू 


अमलेशवर - छत्तीसगढ़ पर्यावरण मित्र समिति ने  लोगों से अपिल किया है  कि दीपावली का पर्व हमारा धार्मिक त्योहार  हैं ,  मान्यता हैं कि इस दिन ही भगवान श्री राम अपने चौदह वर्ष के वनवास  पूरा काटने के साथ ही  अहंकारी   रावण का वध कर अयोध्या वापस लौटे थे , जिसके खुशहाली में ही पूरे अयोध्या वासी   पूरे अयोध्या में दीप जलाये थे ,यह  दीपों का पर्व है ,इस दिन हमें दीपो का एक दूसरे को दान करनी चाहिये , इस पर्व में हमें बहुत ज्यादा मात्रा में पटाखे का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि फटाका फोड़ने  के बाद उसे निकालने वाली गैस  कार्बन डाइऑक्साइड ,कार्बन मोनोऑक्साइड ,सल्फर व गंधक जैसे गैस पर्यावरण चक्र को बहुत ही ज्यादा प्रदूषित करते हैं और पर्यावरण चक्र का प्रदूषण पृथ्वी पर रहने वाले समस्त जीव धारी के लिए नुकसानदायक है इससे मानव जीवन को बहुत ज्यादा नुकसान होता है बीपी के मरीज, हार्ट  के मरीज , शवास (दमा ) एव अन्य गंभीर  रोगियों को भी यह नुकसान करता है वही बहुत से लोग पटाखे  फोड़ते वक्त जल भी  जाते हैं और  इससे जनधन की हानि होती है ठीक इसी प्रकार फटाका निर्माण कंपनी में भी है दुर्घटना होती रहती हैं और वहां  भी हमारे मजदूर भाई लोग विस्फोट के कारण से अकाल मौत को  समा जाते हैं इसलिए हमें दीपावली के पर्व को आपसी भाईचारा , हर्षोल्लास के साथ दीप जलाकर मनाना चाहिए ना की अंधाधुंध फटाका  फोडकर । 
छ.ग. पर्यावरण मित्र समिति के अध्यक्ष डॉ अश्वनी साहू ,वरिष्ठ सलाहकार ललित बिजौरा , कौशल  वर्मा ,गीता लाल साहू, संजू साहू ,प्रभु यादव ,सोहन साहू, चंदन साहू ,शैलेष साहू ,गोपी साहू ,धरमैंद सोनवानी , ने लोगों से जन जागरण के तहत अपील किये  है कि पटाखे  कम ही  फोड़े ।

पटाखे फोडकर खुशियाँ मनाने की परंपरा को हमें छोडना ही  होगा
अक्सर हम अपने घर परिवार में मनाई जाने वाली खुशियों के पल जैसे शादी ,सगाई ,शादी सालगिरह ,जन्मोत्सव ,राजनितिक चुनाव परिणाम (जीत ) मिलने पर  ,विशेष पर्व में हम खुशियाँ मनाते हैं और इस पल हम पटाखे फोडते हैं और पर्यावरण  चक्र को प्रदूषित करते हैं ,जिसे स्वच्छ पर्यावरण के लिये इसे कदापि भी उचित नहीं कहा जा  सकता , हमें इस आदत को छोडना चाहिये ,विकल्प के रूप में हमें कम आवाज में गीत संगीत  ,नृत्य को अपनाना चाहिये , हमें हर दिन व हर वक्त पर्यावरण  संरक्षण के बारे में सोचना चाहिये ,तब ही हम सब आपस में मिलकर अपने स्वयँ के पर्यावरण चक्र को स्वच्छ रखकर स्वस्थ व सुखी जीवन जी   सकते हैं ।