महाकुंभ 2025 : नहीं पहुंच पा रहे हैं प्रयागराज, तो ना होइये उदास, प्रसार भारती देने जा रही यह सौगात, पढिय़े यह खास खबर

जनवरी 11, 2025 - 18:37
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महाकुंभ 2025 : नहीं पहुंच पा रहे हैं प्रयागराज, तो ना होइये उदास, प्रसार भारती देने जा रही यह सौगात, पढिय़े यह खास खबर

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ के अवसर पर प्रसार भारती के एफएम चैनल कुम्भवाणी का शुभारंभ किया. इस अवसर पर उन्होंने एफएम चैनल के सफल होने की आकांक्षा व्यक्त करते हुए कहा कि पूरा विश्वास है कि यह एफएम चैनल न सिर्फ लोकप्रियता की नई ऊंचाई हासिल करेगा, बल्कि महाकुंभ को दूरदराज के उन गांवों तक भी ले जाएगा जहां लोग चाहकर भी यहां नहीं पहुंच पाते हैं. उन लोगों तक इन सुविधाओं के माध्यम से हम महाकुंभ की हर जानकारी पहुंचाएंगे. सीएम योगी ने कहा कि दूर-दराज में रहने वालों के लिए इस तरह का सजीव प्रसारण कर पाएंगे तो उनको भी सनातन गौरव के इस महासमागम को जानने, सुनने और आने वाली पीढ़ी को बताने का अवसर प्राप्त होगा. सीएम ने कुम्भवाणी चैनल शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सूचना प्रसारण मंत्रालय व प्रसार भारती को भी धन्यवाद दिया. 

सीएम योगी ने कहा कि वास्तव में लोक परंपरा और लोक संस्कृति को आम जन तक पहुंचाने के लिए हमारे पास जो सबसे पहले माध्यम था वो आकाशवाणी ही था. मुझे याद है कि बचपन में हम आकाशवाणी के माध्यम से उस समय प्रसारित होने वाले रामचरित मानस की पंक्तियों को बड़े ध्यान से सुना करते थे. समय के अनुरूप तकनीक बढ़ी और लोगों ने विजुअल माध्यम से भी दूरदर्शन के माध्यम से सचित्र उन दृश्यों को देखना प्रारंभ किया. बाद में निजी क्षेत्र के भी कई चैनल आए, लेकिन समय की इस प्रतिस्पर्द्धा के अनुरूप खुद को तैयार करना और दूर-दराज के क्षेत्रों में जहां पर कनेक्टिविटी के इश्यू होते हैं. वहां पर  बहुत सारी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए प्रसार भारती के एफएम चैनल ने 2013, 2019 और अब 2025 में भी कुम्भवाणी के नाम पर इस विशेष एफएम चैनल को शुरू करने की कार्यवाही प्रारंभ की है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि महाकुंभ केवल एक आयोजन नहीं है, बल्कि सनातन गौरव और गर्व का एक महाआयोजन है, एक महासमागम है. जिसको सनातन धर्म के गौरव और गरिमा को देखना हो तो वो कुम्भ का दर्शन करे, यहां आकर अवलोकन करे. जो लोग एक संकीर्ण दृष्टि से सनातन धर्म को देखते हैं, साम्प्रदायिक मतभेद, भेदभाव या छुआछूत के नाम पर लोगों को बांटने का काम करते हैं, उन लोगों को आकर देखना चाहिए कि यहां पर न पंथ का भेद है, न जाति का भेद है, न छुआछूत है, न कोई लिंग का भेद है. सभी पंथ और सम्प्रदाय एक साथ एक ही जगह स्नान करते हैं. सभी लोग एक जगह आकर आस्था की डुबकी लगाकर सनातन गर्व के संदेश को पूरे देश और दुनिया तक लेकर जाते हैं. यह एक आध्यात्मिक संदेश है. इस अवसर पर पूरी दुनिया यहां पर एक घोंसले के रूप में देखने को मिलती है.