क्यों जरूरी है!छत्तीसगढ़_महतारी_अस्मिता_यात्रा

कोई भू भाग यूं ही अपना परिचय नही पा जाता, अगर दक्षिण कौशल ने अपने 36 किलों के वैभव से अपनी पहचान स्थिर की है तो यह हमारे पुरखों का आशीर्वाद है लेकिन कहां हैं वे पुरखे, कहां हैं हमारा वैभवशाली इतिहास, मिट रहा है? आपको दिखाई दे या फिर आप देख कर भी अनदेखा करें लेकिन मिट तो रहा है? अपने आस पास नही अपनी राजधानी को गौर से देखिए, आपका इतिहास आपके पुरखों का चिन्ह कहीं दिख रहा है? 25 सालों में अगर हमने विकास के नाम पर अपने पुरखों और खुद की अस्मिता मिटाने का काम किया है तो हमारी आने वाली पीढ़ी आज जैसे तेलीबांधा तालाब को मरीन ड्राइव पुकार कर खुश हो रही, ठीक वैसे ही आगे बहुत कुछ बदल जाएगा, हमारी मातृभाषा छत्तीसगढ़ी को हिंदी का अपभ्रंस बताकर कहीं उसे भी न खत्म कर दिया जाए!! इतिहास गवाह है किसी व्यक्ति, समाज, प्रदेश की ताकत उनकी संस्कृति, परंपराएं, पुरखें और मातृभाषा होती है उसे मिटा दो तो व्यक्ति कई पीढ़ियों के लिए मानसिक गुलाम हो जाता है! आइए इस प्रदेश की अस्मिता के लिए एकजुट हों, अपनी पहचान को जिंदा रखने की जद्दोजहद करें वर्ना बिसरा दिए जायेंगे? 5 दिसंबर 2025 राजधानी रायपुर छत्तीसगढ़ महतारी अस्मिता यात्रा में शामिल होने मैं आह्वान करता हूं इस मिट्टी के सभी संतानों को जिन्हें लगता है छत्तीसगढ़ उनकी अस्मिता है! आइए मिलेंगे महामहिम राज्यपाल जी से, बताएंगे हम छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया क्यों हैं? आइए अस्मिता जागरण का तिहार मनाएं... जय छत्तीसगढ़ गजेंद्ररथ 'गर्व'

दिसम्बर 5, 2025 - 09:55
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