काली हे हरेली तिहार, इहां मिलही रेडीमेड गेड़ी...

धमतरी । काली इतवार 4 अगस्त के छत्तीसगढ़ समेत धमतरी जिला म घलो हरेली तिहार मनाये जाही। ग्रामीण क्षेत्र म गेड़ी के बिना हरेली तिहार अधूरा हवय। लइका मन बर बाजार म गेड़ी बेचाये के प्रचलन स्थान विशेष म होवत रिहिस हे। सी मार्ट धमतरी के संचालक हे बताइस कि छत्तीसगढ़ के ये परंपरा ल एक कदम आगू बढ़ात शहरवासी मन बर गेड़ी उपलब्ध कराये के उद्देश्य लेे अब सी मार्ट म कई आकार के गेड़ी बेचाये बर रखाय हवय। लइका मन के दाई-ददा अपन बर अउ अपन लइका मन के मनपसंद गेड़ी खरीद सकत हे अउ पहिली के अपेक्षा पूरा हर्षोल्लास ले तिहार मना सकत हे। गांव के हरेली तिहार गांव म लगभग सबो के जमीन होथे अउ वोमन किसान हवय। हरेली तिहार के दिन बिहनिया ले ही तालाब के घाट म किसान परिवार सियान अउ लइका मन सबो अपन गाय बइला अउ बछरू ल नहाय जाथे अउ खेती किसानी औजार हल, कुदाली, फावड़ा ल घलो साफ सुथरा कर के घर के अंगना म पूजा बर सजाय जाथे। महतारी मन गुड़ के चीला बनाथे। कृषि औजार के धूप-दीप ले पूजा के बाद नारियर, गुड़ के चीला के भोग लगाय जाथे। अपन अपन घर म कुलदेवता के मान्यता के अनुसार पूजा करत हवय। गांव के ठाकुर देव के पूजा करे जाथे अउ वोला नरियर चढ़ाय जाथे। गेड़ी बांस के बनाय जाथे गेड़ी चढ़ के गांव वाला मन अउ किसान मन ह वर्षा रितु के स्वागत करथे। वर्षा रितु म गांव म सबो कोती चिखला-माटी होथे, फेर गेड़ी चढ़ के कहूं भी सरलग ले आ जा सकत हे। गेड़ी बांस ले बनाय जाथे। दू बांस म बराबरी दूरी म कील लगाय जाथे। एक अउ बांस के टुकड़ा मन ल बीच ले चीर के वोला दू भाग म बांटे जाथे, उही रस्सी ले फेर जोड़ के दू पाया बनाय जाथे। ये पाया असल म पैरदान होथे, जेला लंबाई म पहली कोट गे दू बांस म लगाय जाथे कील मन के उपर बांध दे जाथे। गेड़ी म चलत खानी रच-रच के आवाज निकलथे जउन हर वातावरण ल अउ आनंददायक बना देथे।

अगस्त 3, 2024 - 15:00
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काली हे हरेली तिहार, इहां मिलही रेडीमेड गेड़ी...