गुरू घासीदास, पं. सुंदरलाल शर्मा, ठाकुर प्यारेलाल सिंह, घनश्याम प्रसाद गुप्ता के व्यक्तित्व और कृतित्व को आज की युवा पीढ़ी रिसर्च अध्यन करे :-जागेश्वर प्रसाद

रायपुर । छत्तीसगढ़ के चार महान विभूतियों 'सतनाम पंथ के संस्थापक बाबा गुरु घासीदास, अछूतोंद्धार के पुरोधा पंडित सुंदरलाल शर्मा, मजदूर आंदोलन के अगुआ ठाकुर प्यारेलाल सिंह और संविधान पुरुष दाऊ घनश्याम सिंह गुप्ता' के व्यक्तित्व, कृतित्व पर विचार गोष्ठी का आयोजन आज दोपहर 12.30 बजे छत्तीसगढ़ी भवन हांडीपारा रायपुर में किया गया। विदित हो कि 18 दिसंबर को गुरू घासीदास जयंती थी, 21 दिसंबर को पं. सुंदरलाल शर्मा की जयंती और ठाकुर प्यारेलाल सिंह की जयंती तथा 22 दिसंबर घनश्याम प्रसाद गुप्ता जी की जयंती है। इस मायने से भी छत्तीसगढ़वासियों के लिए दिसंबर का महीना बहुत खास हो जाता है। यह हमारे महापुरूषों के अवतरण का मास है, 31 दिसंबर तक बाबा जी की जयंती का धूम रहेगा। राज्य आंदोलनकारी, छत्तीसगढ़ी पत्रकारिता के पुरोधा जागेश्वर प्रसाद के संयोजन में विगत कई वर्षों से महान विभूतियों की जयंती पर गोष्ठी कार्यक्रम के बहाने उनकी व्यक्तित्व और कृतित्व पर परिचर्चाएं हो रही है। इसी तारतम्य में 22 दिसंबर को छत्तीसगढ़ के चार महान विभूतियों को साझा रूप से शब्दांजलि अर्पित की गई। जागेश्वर प्रसाद के संचालन में विभूतियों की छायाचित्र पर माल्यार्पण कर चर्चा गोष्ठी का सिलसिला शुरू हुआ जिसमें वरिष्ठ इतिहासकार डॉ.के.के. अग्रवाल, वरिष्ठ गीतकार रामेश्वर वैष्णव, रंगकर्मी अरविंद मिश्रा, वरिष्ठ भाषाविद डॉ. सुधीर शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार आशीष सिंह ठाकुर व डॉ. घनाराम साहू ने अपने-अपने सारगर्भित विचार रखे। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से छत्तीसगढ़ी लोकखेल उन्नायक चंद्रशेखर चकोर, वरिष्ठ साहित्यकार गोविंद धनगर, जयंत साहू,अशोक कश्यप, संजीव साहू,कविश हैदरी,श्यामुराम सेन,अशोक यादव,रोहित चंद्रवंशी सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार व प्रबुद्धजन उपस्थित थे। इस अवसर पर जागेश्वर प्रसाद ने कहा कि अपने इतिहास पुरूषों के बारे में हमें जानना जरूरी है, खास कर आज की युवा पीढ़ी को। युवा पीढी इस पर रिसर्च करे अध्यन करे।जब तक हम उनके व्यक्तित्व और कृतित्व के बारे में नहीं जानेंगे उनके गाथा को जानने की ललक हमारे भीतर नहीं जागेगी। उन्होंने हमारे समाज के लिए क्या किया, देश की आजादी में उनका क्या योगदान रहा, छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन में उनकी क्या भूमिका रही है इस बात को स्मरण करने मात्र से गर्व की अनुभूति होती है। गोष्ठी में बाबा गुरू घासीदास के व्यक्तिव पर प्रकाश डालते हुए वरिष्ठ पत्रकार आशीष सिंह ठाकुर ने कहा कि गुरू घासीदास जी छत्तीसगढ़ के ऐसे संत हुए जिनके अध्यात्मिक प्रकाश से न केवल छत्तीसगढ़ व एक समाज विशेष बल्कि पूरा देश आलोकित होता रहा है। डॉ. खूबचंद बघेल अकसर कहा करते थे छत्तीसगढ़ के तीन लाल- 'घासी, सुंदर, प्यारेलाल'। गोष्ठी में वरिष्ठ गीतकार रामेश्वर वैष्णव ने बताया कि पंडित सुंदरलाल शर्मा प्रेरणा पुरूष थे उनके हर काम से लोगों को प्रेरणा मिलती है। महात्मा गांधी से पहले ही पंडित सुंदरलाल शर्मा जी जंगल सत्याग्रह और अछूतोंद्धार की परिकल्पना को साकार कर चुके थे। जंगल सत्याग्रह और अछूतोंद्धार शब्द को पंडित सुंदरलाल शर्मा से ही गांधीजी ने लिये थे। कार्यक्रम में आगे रंगकर्मी अरविंद मिश्रा ने ठाकुर प्यारेलाल सिंह की कृतित्व पर चर्चा करते हुए कहा कि ऐसे महापुरूषों की जयंती तो उनके जन्म स्थान में बहुत ही भव्य रूप में होना चाहिए। हमारे समाज के लिए जितना बड़ा उनका योगदान है उसे उतने ही भव्यता के साथ राष्ट्रीय स्तर में मनाया जाना चाहिए। इस अवसर पर इतिहासकार डॉ. के.के. अग्रवाल, डॉ. सुधीर शर्मा व डॉ. घनाराम साहू ने इतिहास को स्मरण करते हुए तब से अब के इतिहास के पन्नों को समयानुसार साक्ष्य के आधार पर आम जनमानस तक पहुंचाने पर जोर दिया।

दिसम्बर 23, 2024 - 14:16
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गुरू घासीदास, पं. सुंदरलाल शर्मा, ठाकुर प्यारेलाल सिंह, घनश्याम प्रसाद गुप्ता के व्यक्तित्व और कृतित्व को आज की युवा पीढ़ी रिसर्च अध्यन करे :-जागेश्वर प्रसाद
गुरू घासीदास, पं. सुंदरलाल शर्मा, ठाकुर प्यारेलाल सिंह, घनश्याम प्रसाद गुप्ता के व्यक्तित्व और कृतित्व को आज की युवा पीढ़ी रिसर्च अध्यन करे :-जागेश्वर प्रसाद