व्यास पूजा - गुरु शिष्य परंपरा का महत्व

जुलाई 31, 2025 - 15:56
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व्यास पूजा - गुरु शिष्य परंपरा का महत्व
व्यास पूजा - गुरु शिष्य परंपरा का महत्व
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व्यास पूजा - गुरु शिष्य परंपरा का महत्व
व्यास पूजा - गुरु शिष्य परंपरा का महत्व
व्यास पूजा - गुरु शिष्य परंपरा का महत्व

भारतीय शिक्षण मंडल एवं राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई गुरुकुल महिला महाविद्यालय, कालीबाड़ी, रायपुर द्वारा ’’गुरु-शिष्य परंपरा’’ पर केंद्रित व्यास पूजा समारोह का आयोजन गुरुकुल प्रेक्षागृह में हुआ। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य सैद्धांतिक शिक्षा के साथ व्यावहारिक शिक्षा एवं नैतिक मूल्यों की शिक्षा छात्राओं को देना है। इसी उद्देश्य को समझाने के लिए इस गरिमामय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। महर्षि वेद व्यास के जन्मदिवस को गुरु पूर्णिमा के रुप में मनाया जाता है और यह प्राचीन भारतीय संस्कृति गुरु शिष्य परंपरा को परिलक्षित करता है। इसी परंपरा को जीवित रखने के लिए व्यास पूजा आयोजन का पहल किया गया है। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. संध्या गुप्ता ने अपने उद्बोधन में कहा, ’’गुरु केवल ज्ञान का स्रोत नहीं, बल्कि वह दीपक हैं जो अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करते हैं और समाज को दिशा प्रदान करते हैं।’’ उन्होंने छात्राओं से आह्वान किया कि वे अपने जीवन में एक आदर्श शिष्य बनकर गुरु की शिक्षाओं को आत्मसात करें। विशिष्ट अतिथि उपप्राचार्य डॉ. राजेश अग्रवाल ने कहा कि ’’गुरु-शिष्य परंपरा भारतीय ज्ञान की आत्मा है, जिसे आज के युग में पुनः जागृत करने की आवश्यकता है।’’ उन्होंने इस परंपरा को भारतीय सभ्यता की रीढ़ बताया। कार्यक्रम संयोजिका डॉ. रात्री लहरी (NSS कार्यक्रम अधिकारी) ने व्यास पूजा के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और नैतिक पक्षों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह आयोजन विद्यार्थियों में आत्मानुशासन, कृतज्ञता और संस्कार जागृत करता है। कार्यक्रम में छात्राओं ने गुरु वंदना, सांस्कृतिक नृत्य, कविता पाठ, और नाट्य मंचन के माध्यम से गुरु की महत्ता को भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया। वरिष्ठ शिक्षकों को सम्मानित कर गुरुओं के प्रति श्रद्धा प्रकट की गई। पूरे आयोजन में महाविद्यालय के शिक्षकगण, स्टाफ सदस्य, और बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित रहीं।