30 दिन जेल में तो मंत्री पद से बाहर

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किया। इस बिल में प्रावधान किया गया है कि अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री गिरफ्तारी के बाद लगातार 30 दिनों से अधिक न्यायिक हिरासत में रहता है, तो 31वें दिन उसे पद से इस्तीफा देना होगा या बर्खास्त कर दिया जाएगा। सरकार का तर्क है कि गंभीर आपराधिक आरोपों में जेल में रहने वाले नेताओं का पद पर बने रहना लोकतांत्रिक नैतिकता के खिलाफ है। हालांकि कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया। शशि थरूर ने पार्टी लाइन से हटकर किया समर्थन कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस बिल का समर्थन कर अपनी ही पार्टी को चौंका दिया। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, “अगर कोई व्यक्ति 30 दिन जेल में रहता है, तो क्या वह मंत्री बने रह सकता है? यह सामान्य ज्ञान की बात है… मुझे इसमें कुछ गलत नहीं लगता।” थरूर ने यह भी कहा कि बिल को संयुक्त समिति (जेपीसी) के पास भेजा जाना लोकतांत्रिक विमर्श के लिहाज़ से अच्छा कदम है। प्रियंका गांधी ने जताई नाराज़गी कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने बिल को “संविधान-विरोधी” बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार किसी भी मुख्यमंत्री पर मनचाहा केस दर्ज कर 30 दिनों तक हिरासत में रखकर उन्हें पद से हटा सकती है। शाह और वेणुगोपाल के बीच तीखी नोकझोंक बहस के दौरान कांग्रेस सांसद के.सी. वेणुगोपाल ने अमित शाह के गुजरात कार्यकाल का हवाला देते हुए उनकी नैतिकता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि वे खुद गिरफ्तारी से पहले ही पद छोड़ चुके थे। इस पर शाह ने पलटवार करते हुए विपक्ष की आलोचना की और विधेयक को जेपीसी को भेजने की सिफारिश की। विपक्षी सांसदों ने हंगामा करते हुए बिल की प्रतियां फाड़कर गृह मंत्री की ओर फेंक दीं। स्पीकर ओम बिड़ला ने विपक्षी सांसदों को फटकार लगाई। जेपीसी को भेजे गए तीन विधेयक लोकसभा ने अमित शाह के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए तीन विधेयक संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025, केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेज दिया।

अगस्त 21, 2025 - 10:24
 0  21
30 दिन जेल में तो मंत्री पद से बाहर