पार्षद डाँ आलोक पाल ने घूमंतू पशु का आपरेशन करवाकर बचाई जान, पेश किया पशु प्रेमी होने का मिसाल

अप्रैल 1, 2025 - 13:22
अप्रैल 1, 2025 - 13:36
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पार्षद डाँ आलोक पाल ने घूमंतू पशु का  आपरेशन करवाकर बचाई जान, पेश किया पशु प्रेमी होने का मिसाल
पार्षद डाँ आलोक पाल ने घूमंतू पशु का  आपरेशन करवाकर बचाई जान, पेश किया पशु प्रेमी होने का मिसाल

अमलेशवर (अश्वनी साहू ) -  वुड आई लैंड कॉलोनी के गार्ड रीना द्वारा वार्ड क्रमांक 1 के  सम्मानीय  पार्षद डॉ  आलोक पाल को फोन में बताया गया कि एक बछड़े को सांड के द्वारा हमला करके बुरी तरह से घायल कर दिया गया है तुरंत डॉक्टर आलोक पाल घटनास्थल पर पहुंचे बछड़े के स्वास्थ्य परीक्षण  कर पाया गया कि उसके छाती में सिंग घुसने से फेफड़ा फट गया था, इससे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी , पार्षद डॉक्टर आलोक पाल के द्वारा स्वयं बछड़े का प्राथमिक उपचार किया गया,जिससे वह सांस लेने में सक्षम हो सका, तुरंत पार्षद डॉक्टर आलोक पाल के द्वारा झीट से वेटरनरी डॉक्टर की टीम को बुलाया गया डॉक्टर कश्यप अपनी टीम के साथ आकर तत्काल बछड़े का आगे का उपचार किया जिससे बछड़े की जान बच सकी।
मौके स्थल पर पार्षद डॉक्टर आलोक पाल के साथ भाजपा के बूथ अध्यक्ष श्री आशुतोष अग्रवाल जी एवं नरेंद्र यादव जी  भी उपस्थित थे, साथ ही  पालिका के वर्कर्स की टीम का भी सहयोग रहा ।
डाँ आलोक पाल एक होनहार एम डी डाँक्टर हैं जो अमलेशवर व रायपुर में लोगो का उपचार करते हैं पर आज उसने पशु का भी विशेष  सेवा कर उसकी जान बचाया ,डाँ आलोक पाल के इस  सेवा कार्य की कालोनी वासियों ने भी  खुले मन से प्रशंसा किये हैं ।
पशुधन की विशेष देखरेख व सेवा करना बहुत जरूरी हैं
आज वर्तमान युग में पशुधन का सेवा करना बहुत जरूरी हो गया है ,पहले लोग पशु की सेवा एक देवता समझकर ,देव तुल्य मानकर  उनकी सेवा करते थे , प्राचीन काल में हमारा जो कृषि है पूरा-पूरा पशुधन पर ही निर्भर  रहता था पर आज आधुनिक युग एवं मशीनरी युग के कारण से हमारा कृषि कार्य पूरा पूरा आधुनिक यंत्रों पर निर्भर हो गया है ,जिससे कि आज  हमारा पशुधन लोगों के लिए बेकार सा हो गया है ,लेकिन इस वैज्ञानिक युग में भी हम लोगों को कृषि  को बढ़ावा  देने के लिए एवं कृषि भूमि को सुरक्षित रखने के लिए हमें जैविक खाद की नितांत  आवश्यकता है और यह जो जैविक खाद है, हमारे पशुधन से ही उसके गोबर से ही प्राप्त हो सकता है प्राचीन काल में पशुधन के गोबर को ही जैविक खाद बनाकर उसका उपयोग फसलों के उत्पादन के लिये  करते थे और पूरा-पूरा फसल भी  लेते थे पर  अभी वर्तमान युग में हम  बेतहाशा रासायनिक खाद का खेती-बाड़ी में प्रयोग करने से हमारा जो कृषि भूमि है  वह दिन प्रतिदिन बंजारा होते जा रहा हैं ,भूमि की उर्वरक क्षमता कम हो रहा हैं ,भूमि कठोर पथरीला सा हो रहा हैं , और  साथ ही इससे जो अधिक मात्रा में खाद्यान्न उत्पादन करते हैं वह भी हमारे स्वास्थ्य के लिए अनुकूल नहीं  हो पा रहा है हम जो पेस्टिसाइड  ,खाद का उपयोग करते हैं वह हमारे खाद्यान्न में भी मिला रहता है , और इसे ही अपने भोजन में खाने पीने के लिये करते हैं ,जिसके कारण से लोग आज बहुत ज्यादा बीमार भी पड  रहे हैं  ,बीपी ,सुगर गैस्टिक  ,पाइल्स का मरीज आज घरों घर मिलने लगा हैं ,इसलिए हम सबको पशुधन को सुरक्षित करना एवं उसके गोबर से ज्यादा से ज्यादा जैविक खाद बनाकर हमारे खेतों में बड़ी में उपयोग करना बहुत ही जरूरी है जिससे हमारा खेतों का उर्वरक  क्षमता आने वाले पीढियो के लिये भी बरकरार रहे न  कि नष्ट हो जाये ।