फिल्मकार एस अंशु धुरंधर ने बताई अपने फिल्मी करियर की कहानी

अप्रैल 29, 2025 - 16:22
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फिल्मकार एस अंशु धुरंधर ने बताई अपने फिल्मी करियर की कहानी

एस अंशु धुरंधर, जिन्हें 14 अप्रैल को उनके फिल्मी योगदान के लिए विशेष प्रतिभा सम्मान से सम्मानित किया गया। हाल ही में इनकी डॉक्यूमेंट्री फिल्म की स्क्रीनिंग राल्फ फिल्म फेस्टिवल में भी हुई। प्रस्तुत है उनके साथ किया गया एक विशेष साक्षात्कार: साक्षात्कारकर्ता: आपको फिल्म जगत में कदम रखने की प्रेरणा कहां से मिली? धुरंधर: मेरी बचपन से ही कैमरा संबंधित तकनीकी कार्यों और लोगों का मनोरंजन करने में रुचि थी। फिल्मों को मैंने अपने दोनों रुचियों 'तकनीक और अभिव्यक्ति' को एक साथ मिलाने का माध्यम पाया। साक्षात्कारकर्ता: आपने अब तक पांच फिल्मों का निर्माण किया है, अपने उन प्रोजेक्ट्स के बारे बताएं। धुरंधर: मेरी पहली फिल्म वर्ष 2013 में 'द कुंग फू चाइल्ड' थी, उस समय मेरी उम्र लगभग 16-17 वर्ष थी। यह एक एक्शन कॉमेडी फिल्म थी। इसके बाद 2015 में 'द अल्टीमेट कुंग फू चाइल्ड', 2016 में 'महानिति', 2017 मेंमानव तस्करी पर आधारित 'कर्तव्य की ओर' और हाल ही में 2025 में 'छत्तीसगढ़ के भीम चिंताराम' डॉक्यूमेंट्री फिल्म का निर्देशन किया। साक्षात्कारकर्ता: आपने चिंताराम जी पर डॉक्यूमेंट्री बनाने का निर्णय क्यों लिया? धुरंधर: स्कूली जीवन में मैंने चिंताराम जी के बारे में बहुत सुना था। आसपास की आम जनता उन्हें जानती थी, पर जब उनके बारे में पुस्तकें खोजी तो बहुत कम जानकारी उपलब्ध मिली। तभी मैंने निर्णय लिया कि इस विलक्षण व्यक्तित्व की गाथा को संजोना और अगली पीढ़ी तक पहुंचाना मेरा दायित्व है। रिसर्च कार्य 2013 में प्रारंभ किया। साक्षात्कारकर्ता: आपकी इस फिल्म को काफी सराहना मिली है; मंत्री टंक राम वर्मा, सांसद विजय बघेल, विधायक मोतीलाल साहू और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल जैसे कई जनमान्य व्यक्तियों ने इसकी प्रशंसा की। क्या आपको ऐसे रिएक्शन की उम्मीद थी? धुरंधर: फिल्म निर्माण के समय मेरा पूरा ध्यान इसी बात पर केंद्रित था कि फिल्म को कैसे यथासंभव सर्वोच्च गुणवत्तायुक्त बनाया जा सके। पर फिल्म रिलीज़ के उपरांत मैने इतने व्यापक सराहना की आशा नहीं की थी, मैं आपके द्वारा उल्लेखित सभी मान्यगण एवं उन सभी दर्शकों, जिन्होंने मेरे इतने वर्षों के मेहनत के फल को सराहा, सभी का हृदय से आभारी हूं। साक्षात्कारकर्ता: आपकी फिल्म से प्रेरित होकर चिंताराम को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल कराने हेतु जन अभियान प्रारंभ हुआ है, इस पर आपके विचार? धुरंधर: एक निर्देशक के तौर पर भी मुझे संतुष्टि का अनुभव होता है कि मेरे फिल्म का समाज पर सुप्रभाव पड़ रहा है। मेरी सभी लोगों से अपील है कि इस अभियान से अपने-अपने स्तर पर जरूर जुड़ें। साक्षात्कारकर्ता: फिल्मों के अतिरिक्त आपकी कई पुस्तकें भी प्रकाशित हुई हैं, कृपया अपने साहित्यिक कार्य के बारे में बताएं। धुरंधर: बचपन में घर में मनोरंजन के साधनों की कमी थी, जिससे मेरा मन पुस्तकों की ओर आकृष्ट हुआ। मैंने पहली पुस्तक 9 वर्ष की आयु में लिखी। मेरी पहली प्रकाशित पुस्तक 2022 में आई, जिसका नाम 'अधिनायक' है, जो युवा-नेतृत्व पर आधारित लघु उपन्यास है। उसी वर्ष स्वतंत्रता सेनानी भूरूवा सिंह पर आधारित 'बाल क्रांतिकारी' एवं 2024 में स्वामी दयानंद सरस्वती पर आधारित 'सरस्वती'(अंग्रेज़ी में) और 'छत्तीसगढ़ के भीम चिंताराम' प्रकाशित हुई। साक्षात्कारकर्ता: आपके आगामी प्रोजेक्ट्स कौन-कौन से हैं? धुरंधर: वर्तमान में मैं तीन नई डॉक्यूमेंट्री फिल्मों पर काम कर रहा हूं। इसके अलावा युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता फैलाने और अवसाद(डिप्रेशन) से बाहर निकालने हेतु दो नई पुस्तकें भी लिख रहा हूं।