प्रताड़ित हाथियों के लिए उचित रहवास की मांग भारत सरकार से

Ashwani sahuभारत में बीते कई दशकों से या कहो तो राजा महाराजो के समय से हाथी प्रताड़ित हुए है , कभी लकड़ी डूलाते तो कभी और कुछ , हाथी आज भी केरल कर्नाटक , तमिल नाडु राजस्थान जैसे राज्यों में आज भी बंदी है , खास कर मंदिरों में और पर्यटकों की सवारी के लिए , 2010 से हाथियो को राष्ट्रीय व धरोहर पशु का दर्जा प्राप्त है , और हाथियो का पर्यावरण में एक महत्वपूर्ण योगदान है यह जितना खाते है उसका 40 से 50 प्रतिशत अपने मल द्वारा पर्यावरण को बीज के रूप में प्रदान करते है हाथियों को प्रकृति का माली भी कहा जाता है। आज भी हाथी मंदिरों में बेवजा लोहे के जंजीरों में अपना जीवन व्यतीत कर रहे है जो कि एक बहुत ही दुखद बात है आखिर राष्ट्र पशु का यह अपमान कैसा , यह कैसा धर्म ,पर्यटक आज भी राजस्थान में हाथी की सवारी कर रहा है देश विदेश से आ कर ,हाथियो को बुल हुक याने की लोहे के नुकीले चाबुक से महावत द्वारा मारा जाता है उन्हें अपने काबू में रखने के लिए जो हाथी दिन में 100 लीटर पानी और 150 किलो खाना खाने के लिए मशहूर है लेकिन उन्हें बंदी बना कर बहुत ही कम भोजन दिया जाता है कई हाथी के बच्चो को आज भी जंगल से चुरा कर उन्हें बेचा जाता है और उन्हें फजान जैसे क्रिया दिया जाता है , यह एक ऐसी क्रिया है जहां हाथियो को बचपन से ही एक छोटे से लकड़ी के कोठे में बांध दिया जाता है ,उन्हें लोहे के जंजीरों से बांध कर भूखा प्यासा रख कर उन्हें प्रताड़ित किया जाता है कई बार हाथी इस क्रिया को बर्दाश्त नहीं कर पाते जिसके चलते इनकी मृत्यु तक हो जाती है ,आज भी कई राज्यों में हाथी लाते है महावत द्वारा उनको भींख मंगवाने के लिए लेकिन सबसे दुखद बात यह है कि कोई भी इंसान इस क्रूरता के खिलाफ आवाज नहीं उठाता जब की सुप्रीम कोर्ट के साफ आदेश है कि ऐसी कृत्य बर्दाश्त नहीं की जायेगी। आखिर क्यों राष्ट्रीय विरासत पशु आज लोहे के जंजीरों में अपना जीवन व्यतीत करने में मजबूर है केरल के लोग कहते है कि यह हमारा धर्म है ये हमारे धर्म में शामिल है इन्हें हम गणेश भगवान के रूप में पूजते है । जब है ये गणेश जी के रूप तो क्यों है ये बेड़ियों में , हाथियो की बहुत ही ज्यादा भारत जैसे धार्मिक देश में इन बेजुबान पशु की अत्यंत दुखद दुर्दशा है जो कि बर्दाश्त के बाहर है हाथियों के ऊपर सवारी करने से हाथियों को काफी नुकसान पहुंचता है प्रथम बात तो ये है कि हाथियों का जो शरीर है वो बिल्कुल भी सवारी के लिए तो बना ही नहीं है कई बार हाथी की सवारी से हाथियों के शरीर में काफी चोटे आती है उनकी पीठ की हड्डी को काफी नुकसान होता है। इसी विषय को लेकर आज पर्यावरण प्रेमी वैभव जगने ,व तुलसी राम साहू (भारत भ्रमण नशा मुक्त अभियान) ने आज पर्यावरण पार्क जिला बालोद में एक कार्यक्रम किया और भारत सरकार से इस कार्यक्रम के द्वारा मांग की , कि जितने भी प्रताड़ित हाथी है भारत में उनको एक अच्छा रहवास दिया जाए जहां प्रताड़ित हाथियों को अच्छे से देखभाल हो सके और समय समय पर इनके स्वस्थ का भी ख्याल रखा जा सके जिसे की हमारे राष्ट्रीय विरासत पशु अपने जीवन के कुछ पल अच्छे से व्यतीत कर सके। यह एक मुहिम है जो आगे भी प्रताड़ित हाथियों को एक उचित रहवास के लिए सरकार से आगे भी मांग करते रहेगी।

अगस्त 5, 2025 - 13:53
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प्रताड़ित हाथियों के लिए उचित रहवास की मांग भारत सरकार से
प्रताड़ित हाथियों के लिए उचित रहवास की मांग भारत सरकार से