छत्तीसगढ़ म एती वोती ले आवत संस्कृति मन के संघरे ले सब सॉंझर-मिंझर होवत जावत हे जी भैरा....

-छत्तीसगढ़ म एती वोती ले आवत संस्कृति मन के संघरे ले सब सॉंझर-मिंझर होवत जावत हे जी भैरा. -ए तो होनच हे जी कोंदा.. लोगन अपन-अपन देश-राज के संस्कृति संग आथें अउ उहिच ल इहाँ घलो जीयत रहिथें. आजे के नुआखाई परब ल देख ले.. ओडिशा ले लगे क्षेत्र के लोगन जे मन उत्कल संस्कृति ल जीथें आज ऋषि पंचमी के दिन मनावत हें, जबकि छत्तीसगढ़ के मूल निवासी समाज के मन इही नवाखानी परब ल कुंवार महीना के अंजोरी नवमी के मनाहीं, त उत्तर भारत ले आए लोगन मन इहीच परब ल कातिक महीना म सुरहुत्ती के बिहान दिन अन्नकूट के रूप म मनाहीं. फेर उद्देश्य तो सबो के एके आय.. अपन नवा फसल ल अपन ईष्टदेव ल समर्पित करना. -सही आय संगी एकर दिन बादर ह भौगोलिक स्थिति के मुताबिक तय हे अइसे मोला जनाथे.. समुद्र ले लगे क्षेत्र म मानसून जल्दी आ जथे, त उहाँ फसल घलो जल्दी आ जथे. बीच के भाग म थोरिक अबेर म मानसून आथे त एती थोरिक देरी म फसल आथे. ठउका अइसने च भंडार मुड़ा म अउ थोरिक देरी म मानसून जाथे त उहाँ फसल थोरिक अउ अबेर म आथे, तभे तो जल्दी वाले क्षेत्र म भादो म, मझोला वाले क्षेत्र म कुंवार म अउ अबेर वाले क्षेत्र म कातिक म नवाखानी/नवाखाई मनाथें.

सितम्बर 8, 2024 - 20:24
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छत्तीसगढ़ म एती वोती ले आवत संस्कृति मन के संघरे ले सब सॉंझर-मिंझर होवत जावत हे जी भैरा....