डॉ. मोहन भागवत कर्मनिष्ठ और सेवा में समर्पित -श्री श्री रविशंकर

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि भारत में देव भक्ति और देशभक्ति अलग-अलग नहीं है। इनके लिए दो अलग-अलग शब्द हैं, लेकिन जो देवभक्त होता है, वह स्वाभाविक रूप से देशभक्त भी होता है, और जो देशभक्त होता है, ईश्वर उससे भी देवभक्ति करा लेते हैं। उन्होंने कहा कि अंतिम सत्य तक पहुंचने के 108 अलग-अलग मार्ग हैं, लेकिन सबको एक ही सत्य तक पहुंचना है। अपने जन्मदिन (11 सितंबर) से ठीक एक दिन पूर्व नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया में हर तरह का विकास हो रहा है, लेकिन इसके बाद भी लोगों के पास संतोष नहीं है। इसका कारण यह है कि उन्होंने विकास में सुख देखा, लेकिन अब यह अनुभव में आ रहा है कि केवल विकास से सुख नहीं आता। बल्कि दूसरों के लिए निःस्वार्थ भाव से कुछ करने से ही संतोष प्राप्त होता है। सरसंघचालक ने कहा कि लोग मानते हैं कि राम ने उत्तर भारत को दक्षिण से जोड़ा। इसी तरह भगवान कृष्ण ने पूर्व को पश्चिम से जोड़ा। उन्होंने कहा कि, लेकिन भगवान शिव हर कण में विद्यमान हैं और वे हर कण को आपस में जोड़ते हैं। उन्होंने कहा कि इस दृष्टि से देखने से यह समझ आता है कि कोई पराया नहीं है। वर्तमान में लोगों के स्वरूप अलग-अलग दिख सकते हैें, लेकिन अंतिम रूप से सभी एक हैं और इसलिए आपस में एक दूसरे से संबंधित हैं। भागवत ने कहा कि भारत हजारों साल से विद्यमान है। यहां तपस्या का महत्त्व है। जो व्यक्ति स्वयं को प्राप्त कर लेता है, उसे यह समझ आ जाता है कि कोई पराया नहीं है, और सबके लिए निःस्वार्थ भाव से सेवा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मनुष्य अपने बच्चों की सेवा करते हैं। लेकिन इसके पीछे कोई कांट्रैक्ट नहीं होता कि वे बड़े होकर उनकी भी सेवा करेंगे। लेकिन बच्चे बाद में समझते हैं कि उन्हें भी अपने माता-पिता की सेवा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि निःस्वार्थ भाव से की गई सेवा लोगों को एक दूसरे से जोड़ती है। श्री श्री रविशंकर ने कहा कि डॉ. मोहन भागवत कर्मनिष्ठ और सेवा में समर्पित हैं। वे अपना पूरा समय देश-समाज के लिए देते हैं। उन्होंने कहा कि भागवत के मार्गदर्शन से करोड़ों लोग देशभक्ति और धर्म की स्थापना में लगे हैं। उन्होंने कहा कि आरएसएस पिछले सौ साल से देश की सनातन धरोहर को बचाने का काम कर रहा है, और यह कार्य आगे बढ़ते रहना चाहिए।

सितम्बर 11, 2025 - 17:38
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डॉ. मोहन भागवत कर्मनिष्ठ और सेवा में समर्पित -श्री श्री रविशंकर