सोनकर पारा माता सत्ती चौरा से ज्योत जंवारा विसर्जन यात्रा - अनूठी प्राचीन परंपरा

माता सत्ती मंदिर(सत्ती चौरा), सोनकर पारा, पुरानी बस्ती के दरबार में नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्र पर्व का समापन ज्योत जंवारा कलश विसर्जन यात्रा के साथ संपन्न हुआ। बुधवार रात्रि को विसर्जन यात्रा निकली गयी। जब महिला सदस्य द्वारा अपने सिर पर ज्योत जंवारा तथा युवाओ द्वारा शक्ति स्वरुप सांग बाना को धारण कर विसर्जन यात्रा चलती है तो सोनकर पारा से विसर्जन स्थल बूढ़ा तालाब तक सभी वाहन थम जाते है तथा आने जाने हर व्यक्ति श्रद्धानवित होकर आराधना करने लगते है। पुलिस प्रशासन द्वारा भी इस हेतु सहयोग किया जाता है । विदित हो की सोनकर पारा रायपुर की लगभग 100 वर्षो पुरानी यह परंपरा शारदीय नवरात्री के समापन पर ज्योत जंवारा कलश विसर्जन यात्रा की जाती रही है मान्यता है की मंदिर के उगे जंवारा को देखकर ही आने वाला समय कैसा होगा इसका अनुमान लगाया जाता है, जिन्होंने भी अपनी मनोकामना पूर्ति जैसे संतान प्राप्ति तथा समस्याओ के निराकरण हेतु लिए मंदिर में ज्योत जंवारा स्थापित कराई एवं उनके परिवार के महिला सदस्य द्वारा अपने सिर पर ज्योत जंवारा को धारण कर विसर्जन यात्रा में सम्मिलित होने पर उनकी मनोकामना शीघ्र पूर्ण होती है मनोकामना पूर्ण होने पर भी ज्योत जंवारा स्थापित करायी जाती है। सोनकर पारा के बड़ेबूढ़ों द्वारा बताया जाता है की माता सत्ती मंदिर जिसे सोनकर पारा के सत्ती चौरा (चबूतरा) के नाम से जाना जाता है प्राचीन समय में यह एक चबूतरा का ही स्वरुप था जिसके मध्य में नीम का एक पेड़ था जिसे सोनकर जनो द्वारा अलग अलग कालखंड में आपसी सहयोग से एक मंदिर का रूप दिया गया है तथा संगमरमर से बने माता की प्रतिमूर्ति भी स्थापित की गयी है तथा हनुमान जी महाराज की भी मूर्ति विराजमान है। शुरुवाती वर्षो में केवल एक ज्योत से इस परंपरा की शुरुवात वहां के सोनकर निवासियों द्वारा की गयी थी, आज यह पुरे सोनकर समाज की आस्था इस मंदिर के साथ जुडी हुई है तथा समाज के कुल देवी के रूप में रायपुर शहर के मध्य पुराने बसाहट पुरानी बस्ती में विराजमान है समय के साथ साथ आस्था विश्वास बढ़ने से ज्योत जंवारा की संख्या में हर वर्ष वृद्धि हो रही है। मंदिर में कुंवारी कलश, खप्पर, मुख्य राज ज्योति, माता सत्ती जंवारा तथा परिवारों के नाम से ज्योत जंवारा की स्थापना दोनों नवरात्री पर्व में किया जाता है परन्तु विसर्जन यात्रा केवल शारदीय नवरात्री में नवमी को आयोजित होती है चैत्र नवरात्री में परिवार अपने अपने घरो में मनोकामना ज्योत जंवारा स्थापित कर विसर्जन शोभा यात्रा निकालते है। पुरे नवरात्री के दौरान रात्रिकालीन आरती पूजन पश्चात् माता के सेवा गीत ढोलक मृदंग झांझ मंजीरे के साथ गए जाते है इन सेवा गीतों के बोल माता के बड़े भक्त स्वर्गीय कार्तिक सोनकर (उस्ताद) द्वारा पूर्वजो से सुनकर प्राप्त तथा उनके स्वयं के द्वारा रचित है, उन्ही की स्मृति में सेवा मंडली स्थापित की गयी है जो उनके द्वारा विरासत में मिले गीतों को गा कर इसको माता सेवा के साथ आने वाली पीढ़ियों को भी इससे अवगत कराती है जिसमे श्री संदीप (सेवक) सोनकर, श्री सुरेश सोनकर एवं श्री शिवकुमार सोनकर प्रमुखता से सेवा गायन का कार्य करते है। विभिन्न जनप्रतिनिधिओं द्वारा भी समय समय पर मंदिर विकास में अपना सहयोग प्रदान किया गया है। उक्त जानकारी सोनकर समाज के नगर अध्यक्ष डॉ. भीषम सोनकर द्वारा उपलब्ध करायी गयी है। सोनकर पारा मोहल्ला विकास एवं दुर्गोत्सव समिति के द्वारा मंदिर की वार्षिक देखरेख पूजा पाठ किया जाता है वर्तमान में समिति में श्री भारत सोनकर, श्री रामलखन सोनकर, श्री तिलक सोनकर, श्री हेमंत सोनकर, श्री भरत सोनकर , श्री जीतेन्द्र सोनकर, श्री बसावन सोनकर, श्री परस सोनकर, श्री अजय छोटेलाल सोनकर, सहित सोनकर सदस्य तथा मोहल्लो के अन्य सदस्य भी मंदिर की सेवा में है,विसर्जन के पश्चात् इस वर्ष भी भंडारा का आयोजन किया गया ।

अक्टूबर 5, 2025 - 11:19
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सोनकर पारा माता सत्ती चौरा से ज्योत जंवारा विसर्जन यात्रा - अनूठी प्राचीन परंपरा
सोनकर पारा माता सत्ती चौरा से ज्योत जंवारा विसर्जन यात्रा - अनूठी प्राचीन परंपरा