हमन अपन-अपन धर्म ल लेके कुआँ के मेचका बरोबर होगे हावन जी भैरा....

हमन अपन-अपन धर्म ल लेके कुआँ के मेचका बरोबर होगे हावन जी भैरा. -अइसे का जी कोंदा.. तोला ए बात ह सिरतोन जनाथे‌ का? -विवेकानंद मानव प्रकर्ष संस्थान म 'विश्व भातृत्व दिवस' के अवसर म आयोजित परिसंवाद म डॉ. सुभाष चंद्राकर ह अइसने काहत रिहिसे. -असल म का हे ना.. धर्म ह आज पर उपदेश कुशल बहुतेरे वाले गोठ बनके रहिगे हे.. मोला बता अपन धरम संस्कृति के प्रचार करना ह कहूँ कुआँ के मेचका हो जाना होथे, त इहू मन आज खुद कुआँ के मेचका बरोबर कारज करत हें नहीं? -कइसे गढ़न के जी? -ए मन रामकृष्ण परमहंस अउ विवेकानंद के छोड़े कोनो अउ आने देवता ल अपन मंदिर मन म ठउर देथें का? अरे ठउर देवई तो दुरिहा जाय, जेन विवेकानंद ल रायपुर के बूढ़ा तरिया म नहाय म बूढ़ादेव के आशीर्वाद ले पहिली बेर भाव समाधि मिले रिहिसे उही बूढ़ादेव के नॉव म स्थापित बूढ़ा तरिया के नॉव ल विवेकानंद के नॉव म धर दिन.. बूढ़ादेव के आशीष ल अनदेखा करत वोला एक कोन्टा म तिरिया दिन.. अब तहीं बता अइसन बात ल विश्व भातृत्व के श्रेणी के माने जाही या कुआँ के मेचका के? -जे मन बूढ़ादेव के महत्व नइ समझिन वो मन कुआँ के मेचका नहीं त अउ का आय?

सितम्बर 13, 2024 - 13:15
 0  27
हमन अपन-अपन धर्म ल लेके कुआँ के मेचका बरोबर होगे हावन जी भैरा....