बिजली विभाग में कर्मचारियों-पेंशनरों को परेशानी: सूर्यघर योजना थोपने का आदेश अन्यायपूर्ण—महासंघ

केवल वितरण कंपनी पर दबाव, पारेषण-उत्पादन कंपनियाँ आदेश से बाहर — दोहरी नीति पर पेंशनर्स महासंघ ने उठाए सवाल रायपुर। भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ, छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रांताध्यक्ष श्री वीरेन्द्र नामदेव ने कहा है कि छत्तीसगढ़ बिजली विभाग में कर्मचारियों और पेंशनरों पर प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना के अंतर्गत जबरन सोलर पैनल लगाने का आदेश जारी करना पूर्णत: गलत, अन्यायपूर्ण और असंवैधानिक है। उन्होंने बताया कि बिजली विभाग में तीन कंपनियाँ—वितरण, पारेषण और उत्पादन—कार्यरत हैं, लेकिन यह आदेश केवल वितरण कंपनी के कर्मचारियों और पेंशनरों पर ही लागू किया गया है, जबकि पारेषण और उत्पादन कंपनियों में ऐसा कोई निर्देश नहीं है। श्री नामदेव ने इसे “स्पष्ट दोहरी नीति” बताया और सवाल उठाया कि एक ही विभाग में अलग-अलग मानदंड क्यों लागू किए जा रहे हैं। महासंघ ने आरोप लगाया कि कर्मचारियों-पेंशनरों को सोलर पैनल लगाने के लिए बाध्य कर उन्हें बिजली बिल में मिलने वाली रियायती दरों से वंचित करने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि केंद्र सरकार ने अपनी योजना में कहीं भी कर्मचारियों या पेंशनरों के लिए ऐसी अनिवार्यता नहीं बनाई है। देश के किसी भी राज्य में विद्युत कंपनियों ने ऐसा आदेश लागू नहीं किया है, इसलिए केवल छत्तीसगढ़ में इस तरह का निर्देश जारी करना पूरी तरह मनमाना है। महासंघ ने बताया कि कई कर्मचारी व पेंशनर किराए के घरों, शासकीय क्वार्टर्स या बहुमंज़िला इमारतों में रहते हैं, जहाँ सोलर पैनल लगाना तकनीकी रूप से संभव ही नहीं है। नेट-मीटरिंग के लिए भवन के सभी निवासियों की सहमति, संरचनात्मक अनुमति और अन्य प्रक्रिया अत्यंत जटिल है, जिससे यह आदेश व्यावहारिक रूप से अमल योग्य नहीं है। साथ ही, एक किलोवाट सोलर सिस्टम की लागत लगभग ₹70,000 आती है और बैंक लोन लेने पर दस वर्षों में इसका व्यय ₹1 लाख से अधिक हो जाता है। जबकि कई कर्मचारियों-पेंशनरों का मासिक बिजली बिल मात्र ₹700–₹1000 है। ऐसे में यह आदेश अल्पवेतनधारी वर्ग पर अत्यधिक आर्थिक बोझ थोपने जैसा है। भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ प्रदेश ने सुझाव दिया कि यदि वितरण कंपनी सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना ही चाहती है, तो पहले अपने कार्यालयों, उपकेंद्रों और अन्य सरकारी परिसरों में सोलर पैनल लगाकर उदाहरण प्रस्तुत करे। कर्मचारियों-पेंशनरों पर दबाव डालकर नीति लागू करना न तो उचित है और न ही नैतिक। जारी विज्ञप्ति में भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव, कार्यकारी प्रांताध्यक्ष जे पी मिश्रा, महामंत्री अनिल गोल्हानी, संभागीय अध्यक्ष प्रवीण कुमार त्रिवेदी, बी एस दशमेर, आर जी बोहरे, ओडी शर्मा, अनिल पाठक आदि ने कहा है कि ऐसे संवेदनशील निर्णय लेने से पहले राज्य के कर्मचारी-पेंशनर संगठनों से चर्चा और सहमति के बाद उन्हें विश्वास में लेना आवश्यक है।

नवंबर 24, 2025 - 14:09
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बिजली विभाग में कर्मचारियों-पेंशनरों को परेशानी: सूर्यघर योजना थोपने का आदेश अन्यायपूर्ण—महासंघ