होलिका दहन के लिए हरे भरे पेड़ पौधे को ना काटे न हीं प्लास्टिक और टायर जैसे चीजों का उपयोग करें, इससे पर्यावरण को होता है गंभीर क्षति

मार्च 11, 2025 - 12:59
मार्च 11, 2025 - 14:29
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होलिका दहन के लिए हरे भरे पेड़ पौधे को ना काटे न हीं प्लास्टिक और टायर जैसे चीजों का उपयोग करें, इससे पर्यावरण को होता है गंभीर क्षति
होलिका दहन के लिए हरे भरे पेड़ पौधे को ना काटे न हीं प्लास्टिक और टायर जैसे चीजों का उपयोग करें, इससे पर्यावरण को होता है गंभीर क्षति


अमलेशवर -- छत्तीसगढ़ पर्यावरण मित्र समिति ने  आगामी होलिका दहन के लिए हरे भरे पेड़ पौधे को ना काटने का अपील लोगों से किया है अक्सर देखा जाता है कि ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में भी होलिका दहन के लिए हरे भरे पेड़ पौधे को काट दिए  जाते हैं जो  स्वच्छ पर्यावरण की दृष्टि से कतई  उचित नहीं है ,क्योंकि वर्तमान परिस्थिति में हमारे चारों तरफ किसी ने किसी कारण से हमारे हरे-भरे पेड़ पौधे जंगलों को काटकर प्रकृति  को  हम  क्षति पहुंचा  ही रहे हैं इससे आने वाले दिनों में हमारे पर्यावरण चक्र गंभीर रूप से प्रदूषित हो सकता है जिससे हम लोगों को लिए ऑक्सीजन की कमी भी हो सकता है  ,जिससे हम रोगग्रस्त  बीमार हो सकते हैं ,इसी तरह होलिका दहन के लिए प्लास्टिक  व पुराने टायरो  का  भी उपयोग बिल्कुल ना करें इससे निकलने वाली कार्बन मोनोआक्साइड  ,नाइट्रोजन कार्बन डाइऑक्साइड ,ब्लैक कार्बन ,हाइड्रोजन सल्फाइड ,फास्फोरस एवं जहरीले तत्व गैसों का उत्सर्जन  होता है जो कि हमारे पर्यावरण चक्र को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचता है साथ ही हम सब मानव जीवन के लिए भी यह बहुत नुकसानदायक हैं ,होलिका दहन के लिए गाय के गोबर से बने  कंडे  एवं सूखी लकड़ी ,पुरानी घास को  जलाना ही एक अच्छा बेहतर  विकल्प हो सकता हैं ,  और इसको जलने के बाद इसका उपयोग हम  जैविक खाद के रूप में भी  कर सकते हैं ।
 पानी का बचाव ,जल संरक्षण करना भी हैं जरूरी-
 होलिका दहन के बाद रंग पर्व  होली में भी हम लोगों को सूखी होली खेलने के लिये ज्यादा से ज्यादा  प्रोत्साहित करना चाहिए जिससे कि पानी की बर्बादी को  हम  रोक सकते हैं , कोशिश करना चाहिए होली का पर्व हमारे धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है यह पर्व अच्छाई पर बुराई की जीत और राक्षसी प्रवृत्ति पर भक्ति की जीत को दर्शाता है इसलिए इस पर्व को हम लोगों को बहुत ही अच्छे ढंग से  परस्पर भाईचारा से मनाना चाहिये   बहुत से  लोग इस पर्व पर बहुत ज्यादा नशापन व  शराब सेवन करता है जो कि  सामाजिक व पारिवारिक  दृष्टि से भी उचित नहीं माना जा सकता हैं ।
डामर रोड में न करे होलिका दहन
होलिका दहन के लिये खाली मैदान ,मिट्टी वाली जगह सबसे उपयुक्त जगह हैं ,डामर वाली रोड में होलिका दहन करने पर उस जगह की सड़क खराब हो जाती हैं ,जिससे शासन प्रशासन को आर्थिक नुकशान होता हैं ,शासन प्रशासन भी हम लोगों जैसे आम जनता  लोगो के ही टैक्स पेय से ही चलता हैं , इसलिये सार्वजनिक चीजो का नुकसान पहुँचाने से बचाने की नैतिक जिम्मेदारी भी हम सब लोगो का ही बनता हैं ।
छ.ग. पर्यावरण मित्र समिति के अध्यक्ष डॉ अश्वनी साहू, वरिष्ठ सलाहकार ललित बिजौरा ,गीता लाल साहू, संजू साहू ,कौशल वर्मा ,सोहन साहू  कुलदीप धीवर , चोवा  साहू ,कमलेश साहू , गोपी साहू ,शैलेश साहू, प्रभु यादव ,कुणाल साहू ,चंदन साहू ,भूपेंद साहू ,भावेश यादव  ,परस साहू ,ईशु साहू ,धर्मैंद सोनवानी , ने लोगों से अपील किया है कि होली  पर्व पर  पर्यावरण संरक्षण को जरूर याद रखें  , हमारे आस पाह पर्यावरण साफ स्वच्छ रहेगा  तभी हम लोग स्वस्थ , सुखी और शांतिपूर्वक रह पाएंगे ।