दिल्ली विश्वविद्यालय लेकर आई 'प्यार की पाठशाला'

जुलाई 12, 2025 - 15:21
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दिल्ली विश्वविद्यालय लेकर आई 'प्यार की पाठशाला'


आज के दौर में जहां रिश्ते पल भर में बिखर जाते हैं और लोग अक्सर भावनात्मक रूप से टूटकर एक-दूसरे के प्रति आक्रामक हो जाते हैं, ऐसे में रिश्तों की सही समझ और उन्हें संभालने की कला सिखाना बेहद जरूरी हो गया है। इसी जरूरत को समझते हुए, दिल्ली यूनिवर्सिटी एक अनूठा और सामयिक 'नेगोशिएटिंग इंटिमेट रिलेशनशिप' कोर्स शुरू करने पर विचार कर रही है।
इस कोर्स का मुख्य उद्देश्य युवाओं को 'इंटिमेट रिलेशनशिप' यानी घनिष्ठ संबंधों के विभिन्न पहलुओं को गहराई से समझाना है। इसमें न केवल दिल टूटने के बाद खुद को संभालने और उससे उबरने के तरीके सिखाए जाएंगे, बल्कि 'रेड फ्लैग्स' (खतरे के निशान) को पहचानना भी सिखाया जाएगा, ताकि वे किसी भी रिश्ते में संभावित नकारात्मक संकेतों को समय रहते समझ सकें।

दिल्ली विश्वविद्यालय का नए कोर्स के बारे में

दिल्ली विश्वविद्यालय का मनोविज्ञान विभाग एक महत्वपूर्ण और सामयिक 'नेगोशिएटिंग इंटिमेट रिलेशनशिप' कोर्स शुरू कर रहा है। इस पहल के पीछे मुख्य कारण किशोरों में बढते अपराध और उनमें असफल या विषाक्त (toxic) संबंधों को समझने व उनसे निपटने की जानकारी का अभाव है। अक्सर देखा जाता है कि रिश्तों में सही समझ न होने के कारण युवा गलत राह पर चले जाते हैं।

यह चार-क्रेडिट का कोर्स होगा, जिसमें हर हफ्ते तीन लेक्चर और एक ट्यूटोरियल सेशन शामिल होगा। यह विशेष रूप से उन स्नातक (undergraduate) छात्रों के लिए डिजाइन किया गया है, जिन्होंने 12वीं कक्षा पास कर ली है और जिन्हें मनोविज्ञान की बुनियादी जानकारी है। छात्र इस कोर्स को अपने मुख्य विषयों के साथ एक अतिरिक्त विषय के तौर पर चुन सकते हैं। यह उन्हें उन महत्वपूर्ण बातों पर चर्चा करने का अवसर देगा, जिन पर आमतौर पर औपचारिक शिक्षा में बात नहीं की जाती।
कोर्स में क्या-क्या शामिल होगा?

यह कोर्स चार यूनिट में बंटा होगा, जो रिश्तों के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालेगा:

यूनिट 1: दोस्ती और अंतरंगता का मनोविज्ञान: इस यूनिट में समझाया जाएगा कि दोस्ती किस तरह धीरे-धीरे रोमांटिक रिश्तों में बदल जाती है और इसके पीछे क्या मनोवैज्ञानिक कारण होते हैं।

यूनिट 2: प्रेम और कामुकता के सिद्धांत: इसमें प्रेम के विभिन्न सिद्धांतों जैसे स्टर्नबर्ग के त्रिकोणीय सिद्धांत (Sternberg's Triangular Theory) और दो-कारक सिद्धांत (Two-Factor Theory) को विस्तार से समझाया जाएगा।

यूनिट 3: विषाक्त पैटर्नों को पहचानना: यह इकाई बेहद महत्वपूर्ण है, जिसमें छात्रों को रिश्तों में ईर्ष्या (jealousy), लाल झंडे (red flags), ब्रेक-अप के संकेत (break-up signs) और घरेलू हिंसा (intimate partner violence) जैसे विषाक्त पैटर्न को पहचानना सिखाया जाएगा।

यूनिट 4: स्वस्थ संबंध बनाना: अंतिम इकाई में छात्रों को भावनात्मक समर्थन (emotional support), प्रभावी संचार (effective communication) और भावनात्मक लचीलापन (emotional resilience) जैसे गुणों को विकसित कर स्वस्थ और मजबूत रिश्ते बनाने के तरीके सिखाए जाएंगे।
कोर्स कैसे पढाया जाएगा?

यह चार-क्रेडिट का कोर्स होगा, जिसमें हर हफ्ते तीन लेक्चर और एक ट्यूटोरियल सेशन शामिल होगा। पढाने के तरीकों को काफी इंटरैक्टिव और आजकल के युवाओं के जीवन से जुडा हुआ रखा जाएगा।

सोशल मीडिया की आदतों का विश्लेषण: इसमें छात्रों की सोशल मीडिया इस्तेमाल करने की आदतों पर चर्चा होगी और यह देखा जाएगा कि कैसे ये आदतें रिश्तों पर असर डालती हैं।

ब्रेकअप के अनुभवों पर चर्चा: छात्र ब्रेकअप से जुडे अपने अनुभवों या देखे गए मामलों पर खुलकर बात कर पाएंगे, जिससे उन्हें ऐसे हालात से निपटना सीखने में मदद मिलेगी।

पॉप-कल्चर का विश्लेषण (जैसे कबीर सिंह और टाइटैनिक): फिल्मों और टीवी शो के मशहूर प्रेम कहानियों (जैसे 'कबीर सिंह' या 'टाइटैनिक') का विश्लेषण किया जाएगा। इससे यह समझा जाएगा कि ये कहानियां रिश्तों के बारे में हमारी सोच को कैसे प्रभावित करती हैं और क्या वे हमेशा सही तस्वीर पेश करती हैं।

सीमाएं तय करने का अभ्यास: छात्रों को सिखाया जाएगा कि रिश्तों में अपनी और दूसरों की सीमाओं (बाउंड्रीज) को कैसे तय किया जाए और उनका सम्मान कैसे किया जाए, जो स्वस्थ रिश्तों के लिए बहुत जरूरी है।

इस कोर्स की जरूरत क्यों पडी?

यह कोर्स दिल्ली में हाल ही में सामने आई कई ऐसी दुखद घटनाओं के जवाब में शुरू किया जा रहा है, जहां छात्रों को रिश्तों में ईर्ष्या (jealousy) और ऑनलाइन निगरानी (online stalking) जैसी समस्याओं का सामना करना पडा है। इन घटनाओं ने यह साफ कर दिया है कि युवाओं को स्वस्थ रिश्तों की गहरी समझ और उनसे जुडी चुनौतियों से निपटने के लिए सही मार्गदर्शन की बहुत जरूरत है। यह कोर्स युवाओं को रिश्तों की जटिलताओं को समझने और उनसे जुडे खतरों को पहचानने में मदद करेगा, ताकि वे सुरक्षित और सम्मानजनक रिश्ते बना सकें।