सड़कों पर गौवंश का डेरा: हादसों में बढ़ोतरी, प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल

अगस्त 1, 2025 - 15:55
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सड़कों पर गौवंश का डेरा: हादसों में बढ़ोतरी, प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल

बिलाईगढ़ क्षेत्र में गौवंश की उपेक्षा और प्रशासनिक लापरवाही ने अब गंभीर रूप ले लिया है। सड़कों और पुल-पुलियों को अपना बसेरा बना चुके गौवंश न केवल खुद खतरे में हैं, बल्कि आम नागरिकों के लिए भी दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं।

आवारा गौवंश का सड़क पर डेरा
इलाके में गौवंश के लिए न तो समुचित आश्रय स्थल है, न ही उनके संरक्षण की कोई ठोस व्यवस्था। ऐसे में ये बेजुबान जानवर अब सड़क पर चल रहे वाहनों के बीच आ-जा रहे हैं, जिससे छोटे-बड़े वाहन चालकों को हर दिन जान का जोखिम उठाना पड़ रहा है।

दुर्घटनाओं में लगातार इजाफा
बीते कुछ दिनों में गौवंशों की चपेट में आकर कई बाइक और स्कूटर सवार घायल हो चुके हैं, वहीं कई गायें दुर्घटनाओं में गंभीर रूप से घायल होकर बिना उपचार के तड़प-तड़पकर दम तोड़ रही हैं। सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि घायलों को समय पर न तो चिकित्सकीय सहायता मिलती है और न ही प्रशासनिक हस्तक्षेप होता है।

'गौभक्तों' की चुप्पी पर उठे सवाल
स्थानीय लोगों में अब उन तथाकथित 'गौभक्तों' के प्रति भी रोष बढ़ रहा है, जो मंचों पर गौसेवा के दावे करते हैं, लेकिन ज़मीनी हालात में नज़र नहीं आते। क्षेत्रवासियों का कहना है कि यदि वाकई गौ सेवा का भाव है तो अब समय है कि सड़कों पर तड़पते इन बेजुबानों के लिए स्थायी समाधान खोजा जाए।

समुचित आश्रय की मांग
ग्रामीणों और समाजसेवियों ने प्रशासन से जल्द से जल्द गोशाला या अस्थायी शेड की व्यवस्था, घायल गायों के उपचार की सुविधा, और सड़कों से हटाने के लिए विशेष अभियान चलाने की मांग की है। साथ ही हादसों से बचने के लिए रात में रोशनी की उचित व्यवस्था और चेतावनी बोर्ड लगाए जाने की भी जरूरत बताई गई है।

प्रशासन की अगली चाल पर टिकी निगाहें
फिलहाल, स्थानीय प्रशासन की चुप्पी और निष्क्रियता को लेकर जन आक्रोश बढ़ रहा है। अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि प्रशासन गौवंश की सुरक्षा और सड़क सुरक्षा को लेकर क्या ठोस कदम उठाता है। यदि जल्द कोई पहल नहीं हुई, तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है।

यह मुद्दा अब केवल पशु कल्याण का नहीं, बल्कि सार्वजनिक सुरक्षा और प्रशासनिक जिम्मेदारी का भी है।