कृषि विश्वविद्यालय प्रशासन और लोकल फंड आडिट की आपसी मिलीभगत से विगत 14 महीनों से पेंशन,उपादान से वंचित होकर परेशान है रिटायर प्रोफेसर,टीचर्स,कर्मचारी: भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ ने लगाया आरोप

भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ प्रदेश के अगुवाई में रविवार 17 अगस्त को कृषि विश्वविद्यालय परिसर जोरा रायपुर स्थित सभागार में रिटायर प्रोफेसर और अन्य सेवानिवृत कर्मचारियों की महत्वपूर्ण बैठक हुई। बैठक में प्रमुख रूप से भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव, कार्यकारी प्रांताध्यक्ष जे पी मिश्रा, संभागीय अध्यक्ष प्रवीण कुमार त्रिवेदी तथा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय पेंशनर्स टीचर्स एसोशिएशन के अध्यक्ष डॉ एन के चौबे की उपस्थिति में पेंशनर्स की समस्याओं पर विचार विमर्श के बाद इसके निराकरण हेतु कुलपति और लोकल फंड आडिट से प्रत्यक्ष भेंट करने का निर्णय लिया गया। बैठक में डॉ एस एस बघेल. रिटायर्ड कुलपति. केंद्रीय विश्वविद्यालय मणिपुर, डॉ के सी अग्रवाल रिटायर्ड अधिष्ठाता, डॉ आर के बाजपेई रिटायर्ड संचालक अनुसंधान सेवाएं,डॉ प्रशांत दुबे अधिष्ठाता रिटायर्ड तथा डॉ अरविंद गेड़ा, प्रो.अशोक दुबे, प्रो.हेमंत कुमार अवस्थी तथा प्रो.के के साहू आदि ने बैठक में विचार व्यक्त किए और विश्वविद्यालय प्रशासन की रवैए पर चिंता जाहिर किया। जारी विज्ञप्ति में कृषि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा लोकल फंड आडिट से मिलीभगत कर सेवानिवृत अधिकारियों और कर्मचारियों का शोषण करने का आरोप लगाया है। रिटायर होने के एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी पेंशन प्रकरण को लटका कर रखा गया है और लोग पेंशन और उपादान के साथ साथ जीपीएफ राशि के भुगतान से वंचित आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।उन्हें शासन के आदेश को नजरअंदाज कर 90%अंतरिम पेंशन भी नहीं देकर अपराधिक कृत्य किया जा रहा है।कृषि विश्वविद्यालय प्रशासन को पेंशन में विलंब पर पेंशनर्स को नियमानुसार 9% दर से पेंशन और उपादान पर ब्याज का भुगतान करने की मांग की गई है। भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव ने केंद्र सरकार के समान राज्य सरकार के साथ मिलने वाला महंगाई राहत (डी आर) देने में कृषि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कोताही बरतने पर आश्चर्य जताया है। हद तो यह भी है कि छठवां और सातवां वेतनमान का एरियर भी दबाए बैठे हैं। डी आर देने के आदेश में 42% प्रतिशत के आदेश के बाद 46% देने का आदेश को छोड़कर सीधे 50% डीआर देने का आदेश किया गया। 4% डी आर का आदेश ही नहीं किया गया यह भी अदभुत करिश्मा है और उसके बाद 3% के आदेश का भी पता नहीं है। इस सारे मामले को लेकर 15 दिन के अंदर विश्विद्यालय और लोकल फंड आडिट के विरुद्ध आंदोलन छेड़ने का निर्णय लिया गया है। इन सभी मामलों को लेकर कुलाधिपति राज्यपाल, मुख्यमंत्री, कृषिमंत्री और वित्त मंत्री से प्रत्यक्ष भेंट करने का निर्णय लिया गया है।

अगस्त 18, 2025 - 10:46
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कृषि विश्वविद्यालय प्रशासन और लोकल फंड आडिट की आपसी मिलीभगत से विगत 14 महीनों से पेंशन,उपादान से वंचित होकर परेशान है रिटायर प्रोफेसर,टीचर्स,कर्मचारी: भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ ने लगाया आरोप