विज्ञान और अध्यात्म के समन्वय को साथ लेकर चलें

देवभूमि उत्तराखंड स्थित देवसंस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार एक ऐसे ऐतिहासिक पलों का साक्षी बना, जब यहाँ देश-विदेश के एआई विशेषज्ञों सहित गणमान्य अतिथियों ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई)-विश्वास एवं भविष्य विषय पर महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की। पाश्चात्य देशों के एआई विशेषज्ञों ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता को वर्तमान समय की मांग के अनुसार बताया, तो वहीं भारतीय वैज्ञानिकों ने विज्ञान और अध्यात्म के संगम के माध्यम से विभिन्न रहस्यों को सुलझाने वाला कहा। अपने अनूठे विचारधारा के लिए प्रसिद्ध देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार में एआई: विश्वास एवं भविष्य पर अंतर्राष्ट्रीय महासम्मेलन का आयोजन हुआ। इसका शुभारम्भ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, देसंविवि के प्रतिकुलपति युवा आइकॉन डॉ चिन्मय पण्ड्या एवं अन्य अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर किया। इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ने कहाकि आधुनिक युग में एआई की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। आज अनेक क्षेत्र में एआई का उपयोग हो रहा है। एआई का आध्यात्मिक मूल्यों के साथ समावेषन होना चाहिए। एआई के माध्यम पूरी दुनिया तक भारत के ज्ञान, संस्कृति को पहुचाने की दिशा में सार्थक पहल होना चाहिए। विज्ञान और अध्यात्म के समन्वय को साथ लेकर चलें। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि तकनीकी नवाचार के माध्यम से भावी पीढी सुदृढ हो, इस दिशा में देवसंस्कृति विवि पहुंचाएगा, ऐसा विश्वास है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मात्र तकनीकी उपलब्धि न होकर सामाजिक उत्तरदायित्व और नैतिक जिम्मेदारी भी है। इसकी दिशा मानवीय मूल्यों और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से ही तय होनी चाहिए। यदि हम एआई की शक्ति का सही दिशा और उद्देश्य के साथ उपयोग करें, तो ये अनेकों क्षेत्रों में सुधार लाकर करोड़ों लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

सितम्बर 17, 2025 - 21:34
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