भारत की संभावित कार्रवाई से पाक सेना-सरकार डरी

दिल्ली के लाल क़िला मेट्रो स्टेशन के बाहर हुए कार विस्फोट ने न केवल भारत को झकझोर दिया, बल्कि इस घटना की गूंज इस बार सीमाओं के पार यानि पाकिस्तान के भीतर तक सुनाई दी है। आतंकवाद को संरक्षण देने वाला पाकिस्तान इस बार असामान्य रूप से घबराया हुआ दिख रहा है। जैसे ही भारतीय खुफिया एजेंसियों को हमले की शुरुआती जांच में जैश-ए-मोहम्मद (JeM) की संलिप्तता के संकेत मिले, वैसे ही इस्लामाबाद ने अपनी सुरक्षा प्रणाली को “अभूतपूर्व स्तर” पर अलर्ट कर दिया। पाकिस्तान के सभी वायु अड्डों, सैन्य ठिकानों और संवेदनशील प्रतिष्ठानों पर रेड अलर्ट जारी करना यह दर्शाता है कि अब उसके दिमाग में भारत की कार्रवाई का वास्तविक खौफ घर कर गया है।पाकिस्तान ने अपनी वायुसेना को “इमीडिएट टेकऑफ” के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए हैं, सभी एयरबेस पर एयर डिफेंस सिस्टम सक्रिय कर दिए गए हैं और 11 से 12 नवम्बर तक सीमावर्ती क्षेत्रों में NOTAM (Notice to Airmen) लागू कर दिया गया है। देखा जाये तो इस घबराहट की जड़ भारत की पिछली कुछ सटीक और निर्णायक कार्रवाइयों में है। सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक और ऑपरेशन सिंदूर जैसी कार्रवाइयों ने पाकिस्तान की रणनीतिक सोच को गहरे स्तर पर प्रभावित किया है। उन कार्रवाइयों ने यह संदेश दिया कि अब भारत “धैर्यवान प्रतिक्रिया” वाले दौर से निकलकर “सटीक प्रतिशोध” के युग में प्रवेश कर चुका है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियां यह भली-भांति जानती हैं कि यदि दिल्ली जैसे संवेदनशील केंद्र पर आतंकवादी हमला किसी भी तरह से उनके यहाँ से संचालित नेटवर्क से जुड़ा पाया गया, तो भारत अब कूटनीतिक निंदा तक सीमित नहीं रहेगा।दिल्ली विस्फोट की ख़बर पाकिस्तान के प्रमुख मीडिया संस्थानों जैसे- Dawn, Geo News, The Express Tribune, The News International और Pakistan Today में प्रमुखता से छपी। दिलचस्प बात यह है कि अधिकांश समाचारों ने इसे “मिस्टेरियस ब्लास्ट” या “कार एक्सप्लोजन” कहकर परिभाषित किया, मानो वे किसी भी प्रत्यक्ष आतंकवादी संबंध से दूरी बनाना चाहते हों। देखा जाये तो पाकिस्तानी मीडिया का यह रुख वास्तव में एक रक्षात्मक मनोवृत्ति का प्रतीक है। जब किसी घटना से यह आशंका हो कि उसका धागा अपने ही भूभाग से संचालित आतंकी नेटवर्क तक जा सकता है, तब मीडिया “मिस्ट्री” और “अंडर इन्वेस्टिगेशन” जैसे शब्दों की ओट में अपनी जिम्मेदारी से बचने लगता है।देखा जाये तो भारत सरकार ने इस विस्फोट के बाद जिस संयमित परंतु निर्णायक ढंग से काम शुरू किया है, वह पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा संदेश है। न तो कोई त्वरित भावनात्मक प्रतिक्रिया, न कोई सार्वजनिक धमकी, बस एक गंभीर मौन जिसमें कार्रवाई का संकेत छिपा है। भारत अब “घोषणा की कूटनीति” नहीं, बल्कि “कार्रवाई की कूटनीति” अपनाता दिख रहा है। यह वही रणनीति है जिसने 2019 में पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर अलग-थलग किया था। आज जब पाकिस्तान अपनी वायुसेना को चौकन्ना रख रहा है, तब यह समझना होगा कि इस्लामाबाद को अब यह डर है कि भारत कब, कहाँ और किस रूप में जवाब देगा, यह अनुमान लगाना असंभव है।

नवंबर 12, 2025 - 21:42
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भारत की संभावित कार्रवाई से पाक सेना-सरकार डरी