अब सेवा तीर्थ के नाम से जाना जाएगा पीेएमओ

नई दिल्ली।प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) का नाम बदलकर 'सेवा तीर्थ' किया जाएगा, जो सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना का हिस्सा है और शक्ति से सेवा की ओर शासन के बदलते स्वरूप को दर्शाता है। यह नाम परिवर्तन भारतीय सार्वजनिक संस्थानों में सांस्कृतिक और नैतिक बदलाव का प्रतीक है, जो जवाबदेही और पारदर्शिता पर जोर देता है। 'सेवा तीर्थ' के साथ-साथ 'लोक भवन', 'कर्तव्य भवन' और 'कर्तव्य पथ' जैसे नाम भी शासन के आदर्शों में बदलाव को इंगित करते हैं।मोदी सरकार ने पीएमओ यानी प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम बदल दिया है। नए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) परिसर का नाम 'सेवा तीर्थ' रखा जाएगा। फिलहाल यह खबर सूत्रों के हवाले से है। अधिकारियों ने बताया कि सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत बन रहा यह परिसर अपने अंतिम चरण में है। इसे पहले 'एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव' के नाम से जाना जाता था। प्रधानमंत्री कार्यालय के अलावा, निर्माणाधीन इस परिसर में कैबिनेट सचिवालय, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय और 'इंडिया हाउस' के कार्यालय भी शामिल होंगे, जो आने वाले गणमान्य व्यक्तियों के साथ उच्च-स्तरीय वार्ता का स्थल होगा।अधिकारियों ने बताया कि 'सेवा तीर्थ' एक ऐसा कार्यस्थल होगा जो सेवा की भावना को प्रतिबिंबित करेगा और जहाँ राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को मूर्त रूप दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत की सार्वजनिक संस्थाएँ एक शांत लेकिन गहन परिवर्तन के दौर से गुज़र रही हैं। अधिकारियों के अनुसार, शासन की अवधारणा 'शक्ति' से 'सेवा' और अधिकार से जवाबदेही की ओर स्थानांतरित हो रही है। उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन केवल प्रशासनिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और नैतिक भी है। राज्यों के राज्यपालों के आधिकारिक आवास राजभवनों का नाम बदलकर ‘लोक भवन’ किया जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शासन के क्षेत्रों को ‘कर्तव्य’ और पारदर्शिता को प्रतिबिंबित करने के लिए नया स्वरूप दिया गया है। प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास का नाम 2016 में बदलकर लोक कल्याण मार्ग कर दिया गया। सूत्रों के अनुसार, यह नाम कल्याण का प्रतीक है, न कि विशिष्टता का।केंद्रीय सचिवालय का नाम बदलकर कर्तव्य भवन कर दिया गया है। सूत्रों के अनुसार, यह भवन एक विशाल प्रशासनिक केंद्र है जो इस विचार पर आधारित है कि जनसेवा एक प्रतिबद्धता है। इसी तरह, राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया गया, जिससे यह संदेश गया कि सत्ता कोई अधिकार नहीं, बल्कि एक कर्तव्य है।

दिसम्बर 3, 2025 - 12:11
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अब सेवा तीर्थ के नाम से जाना जाएगा पीेएमओ