विकसित भारत की कड़ी में विकसित छत्तीसगढ़ की संकल्पना शिक्षा के बिना अधूरा

दुर्ग। सरकारी स्कूलों में भी टीचर पेरेंट्स मीटिंग का आयोजन प्रदेश स्तर पर किया जा रहा है। 6 अगस्त को पूरे राज्य में मेगा पीटीएम आयोजित किया गया। ग्रामीण क्षेत्र से जो सूचना मिली है उसके मुताबिक ग्रामीण पालक एवं शहरी पालक जो अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं उनमें शिक्षा के प्रति जागरूकता तेजी से बढ़ी है । वह अपने बच्चों की शैक्षणिक गुणवत्ता उच्च स्तर का देखना चाहते हैं और चाहते हैं कि सरकारी स्कूल के शिक्षकों के साथ मिलकर स्कूल में पढ़ने वाले उनके बच्चों का सर्वांगीण विकास किया जाए । ऐसा समावेशी विकास जिसमें सभी बच्चे आगे बढ़ सके और उन्हें रोजगार और स्वरोजगार का अवसर मिल सके । ग्रामीण क्षेत्र के पालक पहले अपने बच्चों के शिक्षा को लेकर उड़ने जागरूक नहीं थे। मीटिंग में बुलाए जाने के बावजूद हुए स्कूल नहीं आते थे । किंतु इस बार ग्रामीण पालक भी स्कूल से सामुदायिक भावना बढ़ाना चाहते हैं। स्कूल के मदद भी करना चाहते हैं , और शिक्षकों के दिए निर्देश के अनुसार घर में अपने बच्चों का शिक्षण व्यवस्था करने भी तैयार हैं। यह अच्छा संकेत है सरकारी स्कूलों में शिक्षा स्तर पर हमेशा सवाल उठते रहा हैं। किंतु सरकारी स्कूलों में भी अब ऐसे प्रयास किया जा रहे हैं कि बच्चे पालक और शिक्षक के त्रिकोणीय आयाम का समन्वित विकास कर शैक्षणिक स्तर का नया मानदंड रखा जाए। विकसित छत्तीसगढ़ के लिए जरूरी विकसित भारत की कड़ी में विकसित छत्तीसगढ़ का संकल्पना शिक्षा के बिना पूरा नहीं हो सकता यह बताने की बात नहीं ।समाज का कोई भी वर्ग शिक्षा से वंचित न रहे, बल्कि शिक्षा का एडवांस फायदा मिले । इसके प्रयास छत्तीसगढ़ की साय सरकार कर रही है । नया पलक वर्ग पढ़ा लिखा है। शिक्षा के महत्व को जानता है। वह चाहता है कि उनके बच्चे पढ़ लिखकर काबिल आदमी बने । शिक्षा को लेकर स्कूल से सद्भावनापूर्ण संबंध बनाना उनकी प्रायिकता है । यहां तक की महिला पालक भी अपने बच्चों की शिक्षा को लेकर मेगा पालक मीटिंग में बड़ी संख्या में सहभागिता दे रही हैं । यह भारत के भविष्य के लिए उज्जवल संकेत है । शिक्षित भारत शिक्षा के बल पर अपने अधिकार को हासिल करेगा और न्यायपूर्ण , समतामूलक समाज की स्थापना हो सकेगी

अगस्त 7, 2024 - 15:10
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विकसित भारत की कड़ी में विकसित छत्तीसगढ़ की संकल्पना शिक्षा के बिना अधूरा