मया के फूल फूलन दो

दिसम्बर 7, 2024 - 15:06
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मया के फूल फूलन दो

छोड़ देवव एक दूसर ले लडे़ बर , मन ले मन मिलन दो ।

टोर सब दुर्भाव के डारा पाना ल , मया के फूल फूलन दो ।।

फूल चढा़ववं मन्दिर म फेर , आबाद राखव फुलवारी ।

फर ल खावव तंदरुस्त बनव , सदा स्वस्थ रहव संगवारी ।।

माथा टेकव महतारी के पांव म , दाई के सदा मान रखन ।

 मंदिर - मस्जिद एक बनावव , चलव नवा इतिहास गढ़न ।।

हमन ईसवर - अल्हा के भगत , हे मजहब हमर एक ।

स्वदेश म लागे घाव हे , फेर गंवाव झन अपन बिबेक ।।

बांटन मया ग्यान के गहना , अपन देश ल बचावव यार ।

दुरिहा म राखव गोली बारुद फेर , बाढ़य आपसी प्यार ।।

 ✍️ लक्ष्मीकांत वैष्णव " अबोध " रायपुर , चंगोराभाठा