-मोला एक बात समझ नइ आवय जी भैरा..

-मोला एक बात समझ नइ आवय जी भैरा.. लोगन कहिथें न.. के गंगा म नहाए ले लोगन के पाप धोवा जाथे कहिके.. आखिर अइसे कहिसे होवत होही? -पाप ह गंगा म नहाए भर ले नइ धोवावय जी कोंदा.. अइसे म तो कर्मगत जे व्यवस्था हे, तेकर तो महत्व ही खतम हो जाही.. हाँ भई गंगा म नहाए ले मन म उठइया विचार जरूर शुद्ध होवत होही.. अउ फेर मन के शुद्ध होय के पाछू लोगन के कर्म सुधरत जावत होही.. अउ फेर कर्म के सुधरे ले तो सब दोष अउ पाप के नाश होतेच होही. -हाँ भई अइसन होवत होही.. काबर ते कोनो भी पवित्र जगा म जाए के महत्व तो होबेच करथे, जइसे हमन अभी माता कौशल्या के धाम गे रेहेन, फेर कहूँ नहाय धोय भर म पाप नइ धोवाय संगी.

सितम्बर 2, 2024 - 14:10
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-मोला एक बात समझ नइ आवय जी भैरा..